शनिवार, 26 नवंबर 2022

 औरतों का जनम ही शायद हर घडी परीक्षा वास्ते है होता

वैदिक काल से सभी ने दी अपनी-अपनी परीक्षा कोई ना बच पाया
सीता का इम्तेहान तो जग विदित है ,उर्मिला को कोई जान ना पाया
द्रोपदी बिन पूछे लगा दी गयी दांव पर ,क्या कोई पति उसको बचा पाया
व्याही गई अर्जुन संग कुंती ने पंच पांडवों की पत्नी उसको बिन आज्ञा बनाया
गांधारी का छल से अंधे संग था विवाह रचाया ,फलस्वरूप दुर्योधन था इतिहास ने पाया
कदम -कदम पर नारी ही देती आई है इम्तेहान ,पुरुष की कोई परीक्षा इतिहास ना बता पाया
जन्मते ही उसका इम्तेहान होता शुरू जो ख़त्म मृत्युपरांत ही है होता ख़त्म आया
--रोशी
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