जिन्दगी की जरूरतें ,इचछायें जब जितनी चाहे बड़ा-घटा लो
जब चाहो चादर से बाहर पाँव निकालें, बेहतर होगा अन्दर रख लो
बचपन से बच्चों को पैसे की एहमियत सिखाओ ,बचत की उनको आदत डालो
गर सीख गए रूपये की कीमत ,तो जिन्दगी में ना खानी पड़ेगी ठोकर
वक़्त ,जरूरत के हिसाब से पैसा खर्चना भी बचपन से सिखाना होगा
आज की थोड़ी से मेहनत से ,हमारी उम्दा सोच से बच्चों का कल संवर सकेगा
--रोशी