गुरुवार, 30 दिसंबर 2021

                                                                     नव- वर्ष









नव- वर्ष की पूर्व संध्या पर सोचा कुछ तो नव संकल्प करें

सेहत पर देंगे कुछ खास ध्यान ,और जीवन -शेली को सुनियौजित करें
हँसना -मुसकराना ,दिल से खिलखिलाना और आस -पास के माहौल को सजीव करें
मित्रों के साथ जीवन का शेष वक़्त गुजारेंगे ,कुछ उनकी कुछ अपनी सुनेंगे और -सुनाएँगे
गुस्से को कम करेंगे ,शांति की राह पर चलेंगे ,खुद खुश रहकर दूसरों की मुस्कराहटों का सबब बनेंगे
तन -मन से जो भी हो सकेगा करने की रहेगी कोशिश हमारी ,यौं ही जीने का सफर हम जारी रखेंगे
हमारे कारन दिल ना दुखे अपनों का ,बस यौं ही अपने मुस्तकबिल को मजबूत करेंगे
कुछ नए दोस्तों की गिनती में करेंगे इजाफा ,अपनों के बीच रहकर दुश्मनों से स्वयं दूर रहेंगे
जब साथ हैं रब की मेहर ,सर पर छत ,दो वक़्त की रोटी और तन पर वस्त्र
अपनों का साथ ,बच्चों का प्यार जीने के लिए और क्या चाहिए बताओ सच- सच
रोशी--


रविवार, 26 दिसंबर 2021






नवबर्ष


क्या लिखें ,क्या न लिखें बयां करना है मुश्किल

नवबर्ष में क्या संकल्प लें ,,कुछ नए वायदे खुद से करें
बस यह ही है बहुत जीवन में अब अपने मुश्किल
अब कुछ छोड़ना और नया अपनाना है बहुत मुश्किल
नव -वर्ष पर तो जैसे सैलाब आ जाता है नई कसमों ,वायदों का
हम जैसे हैं वैसे ही रहें ,दिल से ,दिमाग से रोज़ करें खुद को परिष्कृत
निज आत्म -मंथन करें हर घड़ी खुद के हर कृत्य को ,जैसे बुहारते हैं रोज़ घर को
कोशिश हर पल की शायद सुसंस्कृत करे दैनिक आचार -व्यवहार
नित जीवन में सुखद प्रयास करने वालों की होती नहीं है कभी हार
रोशी--

शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2021

  यह दिल भी क्या चीज़ है



 

    यह दिल भी क्या चीज़ है खुदा ने बनाई ,

गहरी चोट भी झेल जाता है कमबख्त आराम से
पर हल्की सी ठेस से भी घायल हो जाता है बिन आवाज़ से
किसी लम्हे इतरा उठता है बेवजह ,बिन मक़सद के
सुन्न हो जाता है ,कभी कर्कश वाणी के तीरों से
नज़रें भी भाँप लेता है बड़ी जल्दी यह उठती अपनी ओर
पीठ पीछे भी शायद इसको दिख जाता है चहुं ओर
बेबजह खुश हो उठता है अक्सर बे -मकसद यू ही
बैठे -बैठे डूब जाता है गम की गहराइयों में
स्थिर रहने की शायद फितरत ही नहीं है इसकी ,
बहुत जुगत की हमने भी सम्हालने की इसको
पर नाकामयाब ही रहे रोके रखने में सदेव इसको

शनिवार, 25 सितंबर 2021

अयोध्या गमन




आई एम ए द्वारा आयोजीत बनारस और अयोध्या की यात्रा

 अयोध्या को गमन और शिव शम्भू का सबको नमन

किसी पर चढ़ा है राम रंग और कहीं छाई है भंग की तरंग

जिंदगी से निकाले कुछ कीमती पल हम सबने परिवार संग आनंद उठाने को

अपने बच्चों को भी सनातन धर्म,राम लला और शिव शम्भू से रूबरू करवाने को 

सुवासित पकवान, मधुर हास-परिहास और यात्रा में बहुत कुछ था मन लगाने को

प्रभु प्रेमी यात्रियो का था साथ ,कुछ थी अधूरी आस भोले बाबा को बताने को

एक पंथ दो कांज उक्ति को IMA  ने बाखूबी है अज़माया 

काशी में गोते लगवाने के साथ पत्नियों का रक्त संचार भी है बढ़वाया 

साड़ी,शॉपिंग नाम की खतरनाक बीमारी का बनारस मे है सटीक इलाज करवाया

पैनडैमिक मे जो ईश्वर ने बक्शी है उधार की साँसे हमको spritutal trip ने यह लोक और परलोक 

सुधारने का सुनहरा मौका दिया है हम सबको 

जय श्री राम 

जय श्री श्याम 

जय शिव शम्भू

शुक्रवार, 20 अगस्त 2021

                            अफगानी औरतें



अफगानिस्तान की सरजमीं पर बची हुई बेबस औरतें
जिनको छोड़ गए दोज़ख में मरने को ,बेसहारा और रोते- रोते
जिनका बेनूर ,मासूम चेहरा ,आँखों में दहशत बयां करती उनका दर्द
अंजान सा जिनका मुस्तकबिल ,हर सांस घुटती ,और डर से होता चेहरा सर्द
मासूम कलियाँ जो खिलने से पहले ही नोच डालीं ,,किरच -किरच होता उनका बचपन ...
चड़ गया आतंक की बलि,आततायीऔं से बचाने को परेशान माँ का सारा जीवन
जहाज में होने को सवार सिर्फ मर्द ही दिख रहे थे हवाई- अड्डे पर ,ना दिखती थी कोई औरत
क्या मरने को छोड़ आए माँ -बहनों को ,और बचा ली सिर्फ अपनी जान
क्या होगा अगली नस्ल का जब औरत का ना रहेगा नामों- निशां
कुछ औरतों को अफगानी छोड़ भागे बचा कर अपनी -अपनी जान
बची नस्ल को रौंदा तालिबानीयुओ ने ,मानो मिटा देंगे नारी की आन
कुछ तो रहम करो और सोचो जब रहेगी ना औरत जात इस देश में
तो किस पर करोगे हकूमत ,और कहाँ से लाओगे आतंकी ?
क्योंकि नस्ल तो अपने हाथों से दफन करते जा रहे इस देश के वासी और आतंकी

  श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...