बुधवार, 26 जुलाई 2023

 माँ का स्पर्श होता जादुई तिलिस्म औलाद के वास्ते जन्म से

चंद लम्हों में ही पा जाती औलाद सम्पूर्ण सुख दुनिया के
माँ के आंचल में सिमटी होती बालक की छोटी सी दुनिया जिसमें
हाथ पोंछना हो या आंसू ,सब कुछ पा जाता हक से वो खुद ही इसमें
चंद सिक्के हों या हो टाफी बांध लेती खज़ाना छोर पर आँचल के
भूखी ,प्यासी खुद रहकर मां बांध लेती सुनहले सपने बालक के
जादू भी अनोखा जानती है मां बाखूबी ,नहीं है दुनिया में कोई इसका सानी
हर उलझन ,समस्या औलाद की तड़प जान जाती बिन बोले यह दीवानी
यूँ ही सर्वोच्च स्थान मां को नहीं गया है नवाज़ा ,होती है अद्भुत गुणों की खान
औलाद की खातिर प्राणों की आहुति देने में चूकते ना कभी पशु ,पक्षी और इंसान
--रोशी

मंगलवार, 25 जुलाई 2023

 

लरजते,बरसते मेघ बरसा रहे यदा कदा शीतल फुहार
तन -मन का मिटे ताप ,प्रकृति ने ओडी हरितमा की चादर
कोयल की कूक ,पपीहे का गान, गूँज उठे सभी खेत खलिहान
तृप्त धरा हुई परिपोषित ,झूम उठे सम्पूर्ण खेतों के धान
मौसम ने बदला माहौल नाच उठे मयूर वन -उपवन में
फिजां में गूँज उठे गीत सावन के ,ढोलक की थाप गूंजे घर आँगन में
घूमर ,नृत्यों से सज गयीं महफिलें ,लहंगा चुनरी छायी सब अंगनो में
सजनी खडी ड्योडी पर राह तके प्रियतम की ,आया मस्त सावन सजीला
क्यूँ गए पिया परदेस सावन में ,वयां न कर सके अलबेली सखियों संग अपनी पीड़ा
--रोशी
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मंगलवार, 18 जुलाई 2023

 दरत का कहर विभिन्न रूपों में दिखता है रोष

कहीं है भीषंड गर्मी ,कंही है जबरदस्त बाड़ का प्रकोप
जान -माल को रौंदती जल की प्रचंड धारा तहस -नहस करती धरा को
खेत -खलिहान हुए सराबोर जल से ,सर्वत्र जल प्रपात लील गया धरती को
बेघर हुए नर -नारी ,मवेशी बहे, डूब गया छप्पर बचा ना कुछ खाने को
प्राकृतिक आपदा हिला देती जड़ें समाज के निम्न स्तर के प्राणी की
बर्बाद होता समूल वही फर्क ना पड़ता और किसी व्यक्ति को
सूखा ,बाड़ ,भूकंप सरीखी आपदाएं कर देती नष्ट सिर्फ निर्धन को
'कोड़ में खाज' कहावत को शायद वो लिखवा कर लाया जीवन भर को
--रोशी
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शनिवार, 15 जुलाई 2023

 कभी सोचा यह बरसते मेघ हमसे बहुत कुछ कहते हैं

जब बरसते हैं ,लरजते हैं सब कुछ दिल का कह जाते हैं
जब मेघ प्यार दिखाते हैं आसमां से बड़ी अदा से बरसते हैं
प्यार मोहब्बत दर्शाते हैं ,बिखराते हैं खुद से बरस -बरस कर
रोद्र रूप भी खुलेआम दिखाते हैं ,अपनी पीड़ा शायद बयां कर
तूफां भी लाते हैं अन्दर दबे हुए दर्द शायद सब एक साथ निकालकर
सुनामी भी शायद तकलीफों ,पीडाओं को व्यक्त करने का ही तरीका है
कभी महसूस कर के देखो शायद सब समझ आने लगेगा सच यही है
तेज हवायें भी बखूबी दोस्ती निभाती हैं मेघों के साथ ,पवन,मेघ का रिश्ता है पुराना
जब एक पीड़ा में होता है , दूजा साथ निभाता है ,परस्पर साथ निभाकर अपना
--रोशी
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गुरुवार, 13 जुलाई 2023

 सावन की रिमझिम फुहारें ,ताप से झुलसे मन को दे जाती चैन

हरितमा से पूर्ण प्रकृति की हरी चादर आँखों को देती शीतलताऔर सुकून
पपीहे की पुकार ,बूंदों की फुहार भिगो देती है अंतर्मन भीतर तक
माटी की सौंधी खुशबू बिखर जाती है भरपूर फिजां में दूर -दूर तक
झूले पर बेटियां ,लहराती चुनरियाँ ,खनकती चूड़ियाँ उकेर रही दृश्य बेहतरीन
सावन के गीत,ढोलक की थाप बिखेर रहे अद्भुत स्वर,बना रहे माहौल रंगीन
लहरिया ,बंधेज तो छा ही जाता है सर्वत्र ,चुनरी ,साड़ी ,लहंगा दिखता हर ओर
हरे वस्त्रों की जैसे आ जाती बाड़ , हरितमा छा जाती बहुतायत में चहुँ ओर
कवियों ने विविध भांति बखाना है इस मास को अनेकों प्रकार अपनी कविताओं में
थाह ना कोई पा सका है सावन की मस्ती ,सुकून ,आनंद की अपने अपने जीवन में
गर्म तवे पर ज्यों जल की बूँद छड मात्र दे जाती शीतलता का एहसास तप्त तवे को
सावन की फुहारें भिगो जाती तप्त ह्रदय को तवे सरीखा ,मिल जाती ठंडक तन को
--रोशी

  श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...