रविवार, 30 अप्रैल 2023

 द्रोपदी का संताप,पीड़ा ,क्या वास्तव में महसूस भी कोई कर पाया

पिता ने निज स्वार्थ की खातिर अग्नि, यज्ञे द्वारा था उसको पाया
प्रियतम का स्वप्न जो था वर्षों से संजोया द्रोपदी ने आज निज समक्ष पाया
पांच पांडवों में बाँट दिया सास ने तत्काल शायद समझकर उसको निर्जीव काया
नव वधु के जखमों का हिसाब और ,दिल की किरचों को समेटना है नामुमकिन
शब्दों में समेटना है असंभव ,उसकी दर्दनाक पीड़ा बया करना है नामुमकिन
कर्ण भी है हमारे इतिहास का बेहतरीन योधा जो सुलगता रहा गहन पीड़ा से सदेव
सगी मां के समक्ष हुआ था उत्पीडन अवेध संतान का था उसने तमगा पाया सदेव
मर्मान्तक ताने ,उपहास थे जीवन भर झेले ,भाइयों से सिर्फ उपेक्षा को पाया सदेव
ममता तो ना दी मां ने पर सगे बेटे के जीवन दान को किया उसका उपयोग
समाज से बहिष्कृत, योधा पग पग हुआ सदेव जख्मी ,बयाँ न कर सका इतिहास
रोशी

  श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...