बुधवार, 30 नवंबर 2022

 गरीबी से बड़ा कोई अभिशाप नहीं ,सहस्त्रों कुचल जाते हैं इसके तले

दीन-इमान,मान-प्रतिष्ठा सब रौंद दिए जाते हैं नित -प्रतिदिन इसके तले 

मान-सम्मान चकनाचूर हो जाता चढ़ भर में ,होता हैं सर्वनाश 

इसकी छाया भी कर जाती सम्पूर्ण व्यक्तित्व का मिनटों में नाश 

अक्ल ,होशियारी सब रह जाती धरी की धरी ,जब होता इसका साथ 

चड़ते सूरज को दुनिया जल चडाती,कोई ना देता अस्त होते का साथ 

निखरने लगते हैं गुण ,काबिलियत सदेव जब पैसा आता है आपके हाथ

लाख टके की दवा,सलाह दे दे कोई फकीर ,मिला दी जाती है तुरंत खाक में 

घटिया ,बेतुकी राय भी लगती बड़ी दमदार गर दी हो किसी रईस ने समाज में 

                                                                                                 --रोशी


रविवार, 27 नवंबर 2022

 करना चाहते हैं कुछ हो कुछ जाता है

बोलना चाहते हैं कुछ और मुख से निकल कुछ जाता है
वक़्त का तकाज़ा है या ऊम्र का हमको है ना पता
याददाश्त भी छोड़ देती है अक्सर साथ ,यादें धुंधला गयी हैं
पूछा दोस्तों से सभी एक ही राह के रही हैं ,समस्या हरेक के साथ है
सब किसी ना किसी समस्या के मकडजाल में हैं उलझे
कोई बीमारी ,घर -परिवार ,बच्चों या व्यापार में हैं उलझे
एक ऊम्र पर आकर सबकी गपशप ,बातों का होता एक ही आधार
मिलने लगती हैं समस्याएं ,गुफ्तगू ,ख़ुशी या गम होता एक ही आधार
कितनी समानता आ जाती है जिन्दगी में दोस्तों की एक ऊम्र तक आते -आते
इतनी आसानी से दूंढ लेते है मिनटों में हल दोस्त एक दूजे से बातों-बातों में
-- रोशी

शनिवार, 26 नवंबर 2022

 औरतों का जनम ही शायद हर घडी परीक्षा वास्ते है होता

वैदिक काल से सभी ने दी अपनी-अपनी परीक्षा कोई ना बच पाया
सीता का इम्तेहान तो जग विदित है ,उर्मिला को कोई जान ना पाया
द्रोपदी बिन पूछे लगा दी गयी दांव पर ,क्या कोई पति उसको बचा पाया
व्याही गई अर्जुन संग कुंती ने पंच पांडवों की पत्नी उसको बिन आज्ञा बनाया
गांधारी का छल से अंधे संग था विवाह रचाया ,फलस्वरूप दुर्योधन था इतिहास ने पाया
कदम -कदम पर नारी ही देती आई है इम्तेहान ,पुरुष की कोई परीक्षा इतिहास ना बता पाया
जन्मते ही उसका इम्तेहान होता शुरू जो ख़त्म मृत्युपरांत ही है होता ख़त्म आया
--रोशी
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शुक्रवार, 25 नवंबर 2022

 श्रद्धा का उधारण नवयुवतियों को शायद कुछ सोचने पर करे मजबूर

जन्मदाता ने २५ साल तक पालन-पोषण किया उनको पल भर में कर दिया दूर
गर लगाये होते ३५ मिनट बात सुनने में माँ-बाप की, ३५ टुकड़ों में ना बंटता शरीर
मां की गहन वेदना,पिता का झुका सर ,परिवार की भर्त्सना का ख्याल किया होता
अखबार सब चीख-चीख कर कह रहे,काश तुमने अपने हक के लिए लड़ा होता ?
बहशी को सलांखों के पीछे पहुंचाई होतीं क्योँ शरीर पर यूं जख्म झेलती रही?
प्यार में धोखे पर दिया होता उसको सबक क्यों उसका अत्याचार सहती रहीं ?
,दोस्तों की मानी होती गर तुमने बात ,पता नहीं कौन सी मजबूरी थी तुम्हारे साथ
कई नस्लों तक चलेगा यह नासूर समाज और परिवार के तुम्हारे सदेव साथ
--रोशी

बुधवार, 23 नवंबर 2022

 कहाँ खो गया वो खूबसूरत ,मस्त बचपन

ब तो नज़र ही ना आते किसी बच्चे के वो दिन

मशीनी जिन्दगी हो गयी है माता -पिता की खुद की हर दिन
उसमें ही पिसता रहता है आजकल के नौनिहालों का सम्पूर्ण बचपन
धमाचौकड़ी ,कूदते -फांदते बच्चे ना दिखते,छूट गया सबका बचपन
मां-बाप की गिरफ्त से छूटे तो कोचिंग की बेड़ियों में है जकड़ा उनका बचपन
बाकी बचा वक़्त लील गया मोबाइल ,निष्क्रिय बना दिया है बालकों का बचपन
परिवार कहाँ होता इकठ्ठा एक साथ ,गपशप करे आपस में बीत जाते ढेरों दिन
सलाह -मशवरा देता अब गूगल ,छूट गए पीछे बुजुर्गों के वो भी थे सुनहरे दिन
परिवार,,पड़ोसी सब रिश्ते सिमट गए मोबाइल भीतर, मिल बैठे ना अब कोई दिन
किसी की ना होती जरूरत महसूस घर के कोने में ही सिमट गया है अब बचपन
--रोशी
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मंगलवार, 22 नवंबर 2022

 वक़्त और हालात के मुताबिक खुद को ढालना उचित है

हवा के विपरीत जो भी चला है ,उसने सदेव नुकसान उठाया है
सागर में भी नौका का रुख नाविक हवा के अनुकूल ही खेता है
यह ही नियम जीवन में लागू सदियों से सदेव होता आया है
वेद,पुराण ,इतिहास सब बताते हैं कि यही नियम इस्तेमाल होता आया है
परस्पर संधि प्रस्ताव ,आत्मसमर्पण इसी नियम के पर्याय रहें हैं
शायद कामयाबी उनको ही मिली बाकी तो नेस्ताबूत होते आये हैं
--रोशी
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शनिवार, 19 नवंबर 2022

 यह क्या किया श्रधा ,प्यार कैसा था तुमने किया किया?

प्यार करना गुनाह तो ना था ,पर खुद का अंत कितना भयानक किया ?
माता -पिता को अपनी बालिग उम्र बता कर था तुमने चुप कर दिया
उनकी ममता ,सलाह सब को अनदेखा तुमने उस पापी के लिए था किया
कितनी पीड़ा मां ने उठाई ,अपने प्राणों का भी उसने था अंत किया
पिता ने भी कितना तिरस्कार ,तकलीफ उठाई तुम्हारे यू गायब होने के बाद
जन्मदाता की ममता पलों में झटक दी अंदेशा ना हुआ खतरे का उस बहशी के साथ
काश ,प्रेमी की थोड़ी सी जानकारी हासिल की होती तुमने उससे ,मोहब्बत के बाद
इतना वीभत्स अंत शायद ना होता गर सुन ली होती तुमनेअपने जन्मदाता की बात
आफताब का गुनाह शायद सामने ना आता गर पिता ने ना छानबीन की होती
तुमने उनको ठुकरा दिया था भले ही पर उनको अपनी बिटिया ना कभी भूली थी
--रोशी

बुधवार, 16 नवंबर 2022

 यह दुनिया भी अजीब शै है दोस्तों

बड़ी जल्दी आपको भूल जाती है या ,भुला देती है
गर इसकी रफ़्तार से ना चलो ,आपको गुमा देती है
सच बोलो गुस्सा करती है, ना बोलो तो मगरूर बताती है
ज्यादा मेल -मिलाप करो तो घर से फारिग बताती है
संकोची प्रवृति रखो तो घमंडी का तमगा पहना देती है
जिनका भला सोचो तो बेबकूफ हमको वही जनता बनाती है
गैरों का सोचा बहुत दोस्तों पर दिल ने अब ह़ार मान ली है
ठीक है इस ऊम्र तक आते- आते अब दुनिया पहचान ली है
--रोशी
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मंगलवार, 15 नवंबर 2022

 शरद ऋतू है आई ,वातावरण में है शीतल वयार छाई

तन को दे ठंडक का एहसास ,मन भीतर नव उजास छाई
शादी ,व्याह ,,दावतों के दौर भी दे रहे अनुकूल मौसम का संकेत
बेहतरीन मौसम का लुफ्त उठा रहें हैं सब ,तगड़ी है इसकी गिरफ्त
सुस्वाद व्यंजनों का स्वाद तो आता ही इस मौसम में ,होता सब हज़म
सिल्क की चमक मखमली एहसास तो महसूस करते सिर्फ शरद ऋतू में
पश्मीना,जामावार का सुखद एहसास तो करते हैं हम सब शीतकाल में
गज़क ,रेवड़ी भी आती हैं परदे से बाहर सिर्फ थोड़े वक़्त के लिए इस मौसम में
आइसक्रीम जो राज करती है दिलों पर उसको भी जाना होता है अज्ञातवास में
इस सर्वसुख के साथ एक मार्मिक तस्वीर भी है इस अद्भुत मौसम की
बेघर ,गरीब के लिए बहुत दर्दनाक रातें होती हैं इस मौसम की
बहुत भयानक पक्ष ,दर्दनाक पहलु है इस खुशगवार मौसम की
यह तो होता हमारा नसीब किसको है क्या मिलता?
--रोशी

सोमवार, 14 नवंबर 2022

 हिंदुस्तान के सभी नौनिहालों ,बच्चों को बाल दिवस की शुभकामनाएं

आइये शपथ ले की हम उन से उनका बचपन ना छीने उनको भरपूर जीने दें
भ्रूण हत्या ना कर बेटियों को जन्मने दें ,बेटों को बेहतर संस्कार दें
स्कूल की हैसियत नहीं तो कम से कम मानवता का पाठ खुद से दें
चोरी ,झूठ , हत्या जैसे व्यसनों से दूर रखें ,माँ -बहनों की इज्ज़त का गुर दें
अपनी इच्छाएं ,अपने सपने बच्चों पर ना लादें,उनको उड़ने के लिए पंख दें
बुजुर्गों की इज्ज़त ,परिवार का साथ जरूरी ना बताया उनको तो नस्लें होंगी बर्बाद
सीखेंगे जो बचपन में तो चलेगा जीवन भर बच्चों के साथ ,हम रहेंगे सदेव आबाद
यह भविष्य हैं इनको सुरक्षित रखना है इनको जरूरी गर दुनिया पर करना है राज़
परचम लहराएगा दुनिया में हमारा ऋषि सुनक ने कर डाली है इसकी शुरुआत .....
--रोशी
May be a cartoon of child and text that says 'Happy Children's'
Vinita Agarwal
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रविवार, 13 नवंबर 2022

 जीवन में खुश रहने का है मूल- मन्त्र बहुत ही छोटा तजुर्बे से

अपने गम ,तकलीफों को समझो सदेव कमतर जहाँ भर से

खुशियों को महसूस करो गैरों से सौ गुना ज्यादा दिल से
दुःख कभी ना कष्ट देगा तुमको,सुख हमेशा बरकत का एहसास दिलाएगा
जब रहेगा दिल –दिमाग खुश तो घर –परिवार हंसेगा-खिलखिलायेगा
जीने के नज़रिए को है बस बदलने की जरूरत ,यह कोई और ना बताएगा
सोच अपनी खुद बदलने की है जरूरत ,जीवन खुशहाल हो जायेगा
दूसरों के घरों में नहीं अपने घर का आइना देखो ,सब खुद पता चल जायेगा
अपनी ख़ुशी से कम दूसरों के घर झाँकने में निकल दी फ़क़त जिन्दगी
अब जितनी बची सुधार लो दूजा और मौका फिर ना मिल पायेगा
....रोशी
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  श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...