रविवार, 25 दिसंबर 2022

 मुख में राम,बगल में छुरी रखे ढेरों बंदे मिलना आम है

हम उनको कितना पहचान पाते हैं यह हुनर हमारा खास है
इंसान को परखने का हुनर ईश्वर ने सबको बक्शा है बहुतायत में
कभी जल्दबाजी ,कभी बेबकूफी कभी बेइंतेहा भरोसा सब में
इतिहास गवाह है हमने धोखा सदेव अपनों से ही खाया है
खंजर की नोक पर भी नज़र रखो सबने धोखा उसीसे खाया है
एक दूजे से मोहब्बत के ख़ूबसूरत एहसासों से होती सबकी दुनिया मुक्कमल
गर धोखा,खंजर ना होता मोहब्बत के साथ हमारा इतिहास भी कुछ और कहता
--रोशी

  श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...