रविवार, 24 अप्रैल 2022

 किस्मत का लेखा कभी ना कोई बाँच पाया

कौन कब ज़िंदगी में आसमां छू ले ,कौन है धरती में समाया
जतन सब भरपूर करते ,पर निशाना किसका सही लग जाए
किसान से ज्यादा मेहनत ज़िंदगी भर शायद ही कोई कर पाये
बेचारा ताउम्र ईश्वर की रहमत पर ही अपनी ज़िंदगी गुजर पाये
अंबानी ,अदानी अपनी -अपनी किस्मत सोने की कलम से लिखवा कर लाये
एक मजदूर की पूरी उम्र कुदाल-फावड़ा चलाते ही गुजर जाए ,बीत जाए
सिर्फ मेहनत से कुछ नहीं है संभव अगर साथ अच्छी किस्मत ना लिखा कर लाये
चद्णक्य,की बुद्धि स्वयं के कुछ काम ना आयी ,ना गुरु द्रोणाचार्य कुछ कर पाये
वक़्त ने उनको ज़िंदगी में बहुरंग दिखाये ,श्रेष्ठतम विद्वान भी ज़िंदगी में धूल फाँकते नज़र आए
गर किस्मत के सभी सितारे होते एक रेखा में ,गधे भी घोडा बनते नज़र आए
रोशी --
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शनिवार, 16 अप्रैल 2022

 भूत-काल को छोड़ो ,भविष्य की चिंता जेहन से त्यागो

बर्तमान में रमो खुशी का कोई लम्हा ना छोड़ो ,ज़िंदगी के सर्व सुख भोगो
बहुत डूढा,कोई मिल ना पाया ,जो इस कसौटी पर खरा उतर ना पाया
ताउम्र भूत ,वर्तमान और भविष्य के झूले पर सबको झूलते पाया
शायद हम सबकी नियति भी रहती है सुनिश्चित ,जान ना पाये कोई कदाचित
विधना सुख -दुख तो जन्मते ही हमारी कुंडली में कर देती है सदेव निश्चित
फिर क्यौ ना वर्तमान में जिये ,भरपूर ज़िंदगी का लुत्फ लें
क्या पता कल ज़िंदगी हो ना हो ,आज ही मज़े से जी लें
कल ,आज और कल की उलझन में ना उलझ कर जीने का नजरिया बदल डालें
खुद को मसरूफ़ रखें सारे जमाने की खुशियाँ खुद ही अपनी झोली में समेट डालें

रोशी --

रविवार, 10 अप्रैल 2022

 अपनी उलझी गुत्थी सुलझाना होता कितना मुश्किल

उलझ जाए तो सुलझे ना चाहे कितने जतन हमने कर डाल
पराई उलझनों का तो चुटकी में तुरत -फुरत निकाल डाला हल हमने
होता बहुत मुश्किल अपनी दुश्वारिया सुलझाना ,जान लिया है हमने
मिनटों में बड़ी से बड़ी पराई समस्या का होता हम पर सटीक नुस्खा
सौ फीसदी आज़माया ,कारगर हर समस्या का होता हम पर नुस्खा
इतना दिमाग अगर अपनी उलझनों को सुलझाने में गर लगाया होता
ना होता इतना असंतोष ज़िंदगी में ,फैला सर्वत्र ज़िंदगी में उल्लास होता
अपनी ज़िंदगी की इबारत खुद लिखो ,ना पकड़ाओ कलम दूसरे को
क्या माकूल है तुम्हारे वास्ते ,इसकी इबारत खुद लिख कर दिखाओ दूसरे को

रोशी--

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2022

 


बड़ा ही खूबसूरत और बेमिसाल लफ्ज है घर
जहां बसते हैं माँ -बाप ,बच्चे और बेइंतेहा प्यार
आपसी सौहाद्र,इज्ज़त होती है जिसकी बुनियाद
बेहतरीन परवरिश पाकर महका देती इसको औलाद
घर की ऊंची दीवारें आगोश में समेत लेतीं सांझे सुख-दुख
हवा का रुख कितना भी बदले ,घर सँजो लेता सारे सुख -दुख
देश -परदेस कंही सैर कर लो भूलती ना कभी इसकी छत
दीवारें भी पुकारती इसकी कहती अब चलो बस अपने घर
कुछ तो होता है जरूर घर की खुशबू ले आती अपनी ओर
बेशक हो चाहे टूटा छप्पर ,मकान या आलीशान बंगला या कुछ और
विधा होती सदेव सबकी एक समान ,हम खुद होते अपने घर के राजा
जहां चलती सिर्फ हमारी हुकूमत ,देखते अपने परिवार को फलता -फूलता
रोशी

सोमवार, 4 अप्रैल 2022

 हमारी ज़िंदगी भी चलती रोज़ एक चलचित्र की मानिद कलाकार होते हैंखुद हम

रोज़ नए किरदार निभाते हैं ,कुछ रंगीन ,कुछ श्वेत -श्याम रूप में होते खुद हम
कुछ अभिनय हमारा बखूबी दिल चुरा जाता सबका ,कुछ में होते हैं फ़ेल हम
प्रीतिदिन नए गैटप,नया रूप ,नई कहानी को गड़ते हैं बेखौफ होकर खुद हम
परिवार , माँ -बाप , बच्चों ,और अक्सर दुनिया से बाखूबी एक्टिंग करते हैं हम
दुनिया में हर इंसान ने लगा रखे हैं अद्भुत मुखौटे ,जिनके मध्य में रहते हैं हम
अपने किरदार बेहतरीन निभाते हैं सब ,कैसा पुरस्कार मिलेगा ना जानते हैं हम
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रोशी -

रविवार, 3 अप्रैल 2022

 ॰देवी को पूजते हैं हम सब ,गर्भ में कन्या का वध करवाते हैं

कभी सोचा नहीं कि हम सब कितना दोगला जीवन जी जाते हैं
स्त्री ही है पालक ,संहारक ,जनमदात्री और ममता की मूरत कोई जान ना पाये
माँ के सारे रूप हैं इसमें भरपूर समाए,परिवार की है इसमें किस्मत समाये
देवी माँ को पूजने के साथ धरा पर कन्या के अस्तित्व को ना नकारो पछताओगे
गर रही ना बेटी तो सृष्टि थम जाएगी ,अपनी नस्ल को आगे कैसे बड़ाओगे
हमको दुर्गा माँ देती संदेश सिर्फ एक दिन ही नहीं रोज़ बेटी को दो भरपूर मान
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता,, ना खुश होगी माँ गर करोगे बेटी का अपमान
रोशी --

शनिवार, 2 अप्रैल 2022

 चैत्र नवरात्री की ढेर सी

बधाई
हर घर में है देवी की स्थापना करवाई
घंटे -घड़ियाल का शंख -नाद है गूँजा
हवन -पूजा से माहौल सुगंध से महका
धूप -कपूर से सुवासित हुये आँगन -चौबारे
पुष्पों से महके घर ,मंदिर ,सारे के सारे
सम्पूर्ण धरा पर माँ रहे रहमत तेरी
सुख -शांति की करना कृपा माँ मेरी
रोशी --

  श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...