शुक्रवार, 25 मार्च 2022

 लोग क्या कहेंगे? सरीखा जुमला बचपन से ही सुनते आए

ना बचपन में इससे पल्ला छूटा ,ना अब तक इससे दूर हो पाये
अपने बच्चों के साथ भी यही जुमला यदा -कदा इस्तेमाल करते आए
क्यौ इतनी की जमाने की फिक्र कि अपनी शकसियत ही ना पहचान पाये
खुद के लिए ना जी कर जमाने कि खुशियाँ ही सदेव तलाशते आए
ज़िंदगी के इस पड़ाव पर आकर यह जाना कि यह भी कोई जीना है
अपने वजूद से ज्यादा दुनिया को खुश करना है ,नकली मुखोटा लगा कर रहना है
अपने भीतर झाँको नकली-आवरण उखाड़ डालो और बच्चों को भी यही सिखाना है
सत्कर्म करते रहो ,उच्च विचार और नेक राह पर ईमानदारी से चलना है
लोग क्या कहेंगे? इस चक्रव्यूह में ना ऊलझ कर बेखौफ जीवन जीना है
रोशी --
May be an image of 1 person and footwear
Like
Comment
Share

  श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...