क्यूंकि उसके साथ- साथ नासूर भी हो जाते हैं
फिर देते हैं टीस , कर जाते हैं घायल रूह को
तो सोचा क्यूँ हटाऊं इस गर्द को मई भी
मरहम का काम इससे ज्यादा न कर सकेगा कोई भी
दब जाते हैं इसके नीचे सभी जख्म और घाव
अनगिनत है जो शायद गिन भी न सकेगा कोई भी ....
जिन्दगी बहुत बेशकीमती है ,उसका भरपूर लुफ्त उठाओ कल का पता नहीं तो आज ही क्योँ ना भरपूर दिल से जी लो जिन्दगी एक जुआ बन कर रह गयी है हर दिन ...