गुरुवार, 29 सितंबर 2022

 चाट के ठेले के पास देखे दो बालक चुपचाप ,लालच भरी निगाह से खड़े

निस्तेज चेहरा ,जीर्ण -शीर्ण काया,धूल -मिट्टी से अटे ,कुछ पाने की इच्छा से खड़े
दयनीय भाव से भीख मांगते ,शायद भूखे भी थे दिखते ,उम्मीद से कुछ पाने की
बार -बार करते थे गुजारिश , पैसे दे दो खाना नहीं मिला, गुजारिश थी पैसों की
हमने कहा पैसे नहीं कुछ खिला देते हैं ,तत्काल थे वो लपके ठेले पर सब खाने को
क्या खाओगे ?यों देखा मानो आतुर थे वो मिनटों मे समूचा ठेला खाने को
पल भर में खत्म किया खाना ,देख उनको दो अश्रु हमारी भी आँख से टपके
भूख क्या होती है ?,भोजन की अहमियत का ना था एहसास हुआ हमको कभी
आज था जाना अपनी भरी थाली का मोल ,जब जेब में ना हो पास टका कभी
अन्न का दाना है कितना बेशकीमती ,जब थाली सिर्फ दूर से देखनी हो कभी
शुक्र अदा करो उस ईश्वर का जिसने अता की इतनी नेमते ,जानकर आपको खास
बेशकीमती है यह भोजन की थाली, जिसको है ना मयस्सर ,पूछो उससे आज .....
--रोशी
May be an image of food
Like
Comment
Share

 बुराई पर अच्छाई की जीत जग विदित है

दशहरे पर रावण का दहन भी सदेव से निश्चित है
इतने ज्ञानी ,ध्यानी रावण ने क्यों किया घिनौना कर्म ?
हो गया समस्त वंश का नाश ,अगर ना किया होता ऐसा अधर्म
पुत्र ,भाई, पत्नी सबने था उसको रोका ,पर विधना ने तो लिख रखा था कुछ और
स्वर्ण-जड़ित लंका हो गयी खाक गर किया होता सबकी बातों पर रावण ने गौर
महान योद्धा ,परम ज्ञानी ,महान शक्तिशाली पुरशो में नाम दर्ज़ होता इतिहास में
सीता ,विभीषण ,हनुमान के साथ गर ना किया होता अत्याचार अपने राज्य में
विधना ने तो लिखा था रावण के भाग्य में कि लंका मिल जाएगी पलों में खाक में
गर सुनी होती अपनों की ,ना होता यों दहन हर वर्ष ,नाम होता दर्ज़ इतिहास में
--रोशी
No photo description available.
Like
Comment
Share

  श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...