शनिवार, 13 अगस्त 2022

 बहनें आती हैं पीहर ढेरों प्यार और उत्साह समेटकर

आँचल में साथ बांध लाती हैं दुआएं और आशीर्वाद भरकर
महीनों पहले से सँजोती हैं ख्वाब पीहर के ,बुनने लगती हैं ढेरों सपने
माँ से सालों बाद मिलना होगा ,कलेजे को मिलेगी ठंडक जब गले लगाएगी अपने
याद आने लगेगी गली ,मोहल्ला और छत की मुंडेर ,जहां दफन हैं ढेरों ढेरों सपने
भाई -बच्चे राह तक्ते होंगे मेरी ,और बाबूजी -अम्मा भी देखते होंगे मेरा सपना बहनों का रास्ता ना कटता,पीहर की दूरी शायद बदती जा रही है सोचती जा रही
पीहर से जाते वक़्त बिखरा जाती हैं संपनतता के दाने और आशीर्वाद देती जा रही , हर तकलीफ ,परेशानी से रहे दूर मेरा पीहर यह ही मन्नत बहन मांगती जा रही
रोशी --
May be an image of text that says 'SisteR Being BrotheR and means being there for each other'
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