बहनें आती हैं पीहर ढेरों प्यार और उत्साह समेटकर
आँचल में साथ बांध लाती हैं दुआएं और आशीर्वाद भरकर
महीनों पहले से सँजोती हैं ख्वाब पीहर के ,बुनने लगती हैं ढेरों सपने
माँ से सालों बाद मिलना होगा ,कलेजे को मिलेगी ठंडक जब गले लगाएगी अपने
याद आने लगेगी गली ,मोहल्ला और छत की मुंडेर ,जहां दफन हैं ढेरों ढेरों सपने
भाई -बच्चे राह तक्ते होंगे मेरी ,और बाबूजी -अम्मा भी देखते होंगे मेरा सपना बहनों का रास्ता ना कटता,पीहर की दूरी शायद बदती जा रही है सोचती जा रही
पीहर से जाते वक़्त बिखरा जाती हैं संपनतता के दाने और आशीर्वाद देती जा रही , हर तकलीफ ,परेशानी से रहे दूर मेरा पीहर यह ही मन्नत बहन मांगती जा रही
रोशी --
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