कितना पवित्र ,मोहब्बत से लबरेज त्योहार है रक्षाबंधन
चाहे कितना झगड़ें आपस में बहन-भाई पर मनाते हैं साथ रक्षाबंधन
है इस त्योहार में कुछ अजीब ताकत जो कोसों दूर से करीब ले आते अपनों को
रह ना पाते बिन मिले एक दूजे से इस पर्व पर खिंचे चले आते बीच में अपनों के
बारीक से सूत के धागे में निहित होती , अबूझे पवित्र प्यार की ताकत जन्मों से
बहन मानती है महफ़ूज खुद को भाई के साये में ,जीती है सारी ज़िंदगी सुकून से
द्रोप्दी की चीर का हक़ निभाया कृष्ण ने ,बचाकर उसकी इज्ज़त सिखाया सब को धागे का हक़ निभाना ,जब भी बहन हो संकट में भाई को है राखी का फर्ज़ निभाना
रोशी --
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