मंगलवार, 31 जनवरी 2023

 निया भरी पड़ी है ढेरों इनायतों और महरूमियों से

कितनी खुशिओं से नवाज़े गए हमको नहीं पता रब से
पूरा दिन गुजर जाता है अपनी तकलीफों को गिनते- गिनते
दो घडी बैठो निशब्द,जिन्दगी कम पड़ जाएगी उसकी इनायेतें गिनते -गिनते
तकलीफों ,दुःख ,मजबूरियो ने गिरफ्त में जकड लिया है आम इंसान को
रोटी ,कपडा ,मकान भी मयससर नहीं दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी को
रब की मेहर जो है हम पर शुक्रिया सौ बार दिन में अदा करो उसको
गर देखोगे दूसरों की तकलीफें गौर से ,अपनी इनायतें लगने लगेंगी बेहिसाब
मिलेगा दिल को सुकूं गर खुशियाँ दूंढ ली खुद अपने अन्दर झांक कर बेहिसाब
रोशी
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रविवार, 29 जनवरी 2023

 हर कामयाबी के पीछे का राज़ होता सिर्फ एक ही है

दिन -रात की जबरदस्त मेहनत ,सच्ची लगन ही होती है
ऊँचे ,बड़े सपने देखना ,उनको जिन्दगी में उतारना पहली सीडी होती है
गर ठान लो दिल में ,कायनात भी होती है साथ आपके जूनून में हर हाल
भूखे पेट ,सड़कों की खाक छनि होती है हर कामयाब बन्दे ने सालों -साल
नेता ,अभिनेता ,खिलाडी या हो कोई भी मशहूर ,कामयाब इंसान
जिन्दगी की राह में ढेरों कांटे पाँव में चुभे हैं सबके,जिन्दगी ना रही आसान
जिसने छोड़ा घबराकर मैदान ,रह गया कामयाबी की दौड़ में पीछे
करत करत अभ्यास ते जड़मत होत सुजान ..चरितार्थ कर दिखाते कुछ ही इंसान
रोशी
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शनिवार, 28 जनवरी 2023

 गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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हमारे वीर सैनिक जो डटे हैं दिन-रात सीमा पर सबकी सुरक्षा के वास्ते
अपनी जान पर खेल उनकी आँख लगी है दुश्मन की चौकी पर हमारे वास्ते
बर्फ ,शीत लहर जो ना डिगा सकी उनका जूनून देश की सेवा का हमारे वास्ते
निर्जन ,सूनसान रेतीले मरुस्थल भी ना रौंद सके उनके बुलंद इरादे हमारे वास्ते
बीहड़ों में जानलेवा आंधियां भी कुछ डिगा ना सकीं उनके इरादे जो थे हमारे वास्ते
विशालकाए समुद्र के तूफ़ान ना पलट सके जिनके देश प्रेम का जूनून हमारे वास्ते
सेना में भर्ती होते वक़्त ही सुलग जाती है आग जांबाजों के भीतर इस देश के वास्ते
इसी जूनून को समेटे रहते हैं सदेव जब होते हैं बॉर्डर पर हमारी रक्षा के वास्ते
रोशी
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Anuradha Sharma and Sarita Aggarwal

 कश्मीर की व्यथा

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क्यों आप सबने मुझको अपने वजूद से जुदा कर दिया ?
हिस्सा था में आपका क्यों कर मुझको तनहा कर दिया ?
कभी होते थे मेरे शिकारे भी सैलानियों से गुलज़ार
मेरी घाटी रहती थी सालों -साल टूरिस्टों से आबाद
केसर की लाजबाब खुशबू ,फूलों की वादियाँ थीं पहचान मेरी
चिनार के दरख़्त आज भी ख़ामोशी से राह तकते हैं तेरी
कहवा के प्याले ,रोगनजोश की खुशबू तैरती है आज भी फिजां में मेरी
आतंकवाद,बम ,गोलियां ही बस अब सिर्फ़ रह गई है पहचान मेरी
गुजारिश है आवाम से मिल-जुल कर दो आवाज़ बुलंद मेरे हक की
टूट जाएँ हौसले चीन और पाकिस्तान के जब वो सुने आवाज़ पूरे हिन्द की
रोशी
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 कैसे मां समझ लेती है नवजात के दिल का हाल ,जो समझ से परे है सबके

बालक से बातें करती है ,अपनी बातें नवागत के दिल तक पहुंचाती है हक से
बच्चे की पीड़ा ,ख़ुशी आँखों में झट पड लेती है ,क्या -क्या जादू वो जानती है
गृहस्थी की गुत्थियों को सुलझाना बाएँ हाथ का खेल है,जो बाखूबी वो जानती है
ईश्वर ने बनाया मां को पूरी तवज्जो के साथ कायनात की खूबियाँ दे डालीं उसको
,मेहनती ,नेक,कामयाब इंसान बनाने की क़ाबलियत भी ईश्वर ने है बख्शी उसको
हालात चाहे जैसे हों मां के,अपना सब कुछ औलाद पर वारने को रहती सदा तैयार
एक बार मां से बात कर हम कर लेते हैं अपने कर्तव्यों की इतिश्री हर बार
कभी तीज -त्यौहार पर जाकर पूछ लेते हैं हाल-चाल साल में एक आध बार
मां के लिए वो दिन ही बन जाता त्यौहार जब उसकी औलाद आती उसके घर द्वार
बच्चे दो -चार फरमाइश ही पूरी ना होने पर माँ को देते हैं झट से त्याग
मां ही वो शख्सियत है जो कर देती है सौ गुनाह भी औलाद के दिल से माफ़
रोशी

सोमवार, 23 जनवरी 2023

 एक तो शीत लहर उधर से बारिश का कहर

ईश्वर रहम कर अपने बन्दों पर ,ना झेला जाता अब मौसम का कहर
बिन छत के जो जी रहे हैं उनपर अब थोड़ा रहम कर
एक गुदडी में जो काट रहे हैं रातें कुछ उनका भी ख्याल कर
पूस की मावट ना झेली जाती ,सांसे भी हैं अब भयातुर
बरछी सी अंग पर चुभती हैं बारिश की बूँदें ,कहर सी लगती अब शीत लहर
प्रकृति की रफ़्तार भी अब पड़ गई है सुस्त ,सर्वत्र है छाया शीतलता का कहर
बरसे ना अब जल की बूंदे कर दो अपने बन्दों पर मेहर ..
--रोशी
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शनिवार, 21 जनवरी 2023

 ख़ुशी का पैमाना सबका अलग होता है ,बहुतेरे रंग हैं इसके

जिन्दगी की छोटी -छोटी खुशियाँ भी भिगो जाती हैं तन मन सबके
कर देती हैं आत्मा तृप्त ,नाच उठता है सम्पूर्ण मन जन -जन के
कदापि नहीं होता रोमांच अक्सर बड़ी -बड़ी खुशियों से भी तनिक सा
हम खुद तय करते हैं इसके पैमाने ,खुद ही होते हैं जिम्मेदार हमेशा
गर रहना है हमेशा प्रसन्न और मस्त तो ख्वाहिशों और सपनों को छोटा रखो
जितना आकाश लाँघ सको उतने पंख पसारो,उम्मीदें अपनों से सदेव कम रखो
ख़ुशी के हैं यह नुस्खे बड़े काम के ,बुजुगों ने भी ये ही नुस्खे थे सदेव आजमाए
जितनी हो चादर उतने ही पाँव फैलाओ बचपन से यह ही थे सदा सुनते आये
--रोशी

  श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...