॰देवी को पूजते हैं हम सब ,गर्भ में कन्या का वध करवाते हैं
कभी सोचा नहीं कि हम सब कितना दोगला जीवन जी जाते हैं
स्त्री ही है पालक ,संहारक ,जनमदात्री और ममता की मूरत कोई जान ना पाये
माँ के सारे रूप हैं इसमें भरपूर समाए,परिवार की है इसमें किस्मत समाये
देवी माँ को पूजने के साथ धरा पर कन्या के अस्तित्व को ना नकारो पछताओगे
गर रही ना बेटी तो सृष्टि थम जाएगी ,अपनी नस्ल को आगे कैसे बड़ाओगे
हमको दुर्गा माँ देती संदेश सिर्फ एक दिन ही नहीं रोज़ बेटी को दो भरपूर मान
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता,, ना खुश होगी माँ गर करोगे बेटी का अपमान