सोमवार, 20 दिसंबर 2010

Roshi: नारी की व्यथा ?

Roshi: नारी की व्यथा ?: "जीवन के अतीत में झांकने बैठी मै पायी वहां दर्दनाक यादें और रह गयी स्तब्ध मै समूचा अतीत था घोर निराशा और अवसाद में ..."

  हम स्वतंत्रता दिवस पूरे जोशो खरोश से मना रहे हैं बेशक हम अंग्रेजों की गुलामी से तो आजाद हो गए हैं धर्म ,जाति की जंजीरों में हम बुरी तरह जक...