मंगलवार, 26 सितंबर 2023

 रोज़ सीखते हैं जिन्दगी से एक नया सबक

मान बैठते हैं खुद को सर्वश्रेष्ठ प्रतिदिन
सोच बैठते हैं परम ज्ञानी खुद को हर दिन
वक़्त का पहिया कब रुका है ?चलता है निसदिन
किताबी ज्ञान तो बहुत सीखा गुजर गया बचपन
जो समझ बैठा खुद को परम ज्ञानी ,अहंकार ने डुबोया उसका जीवन
जिन्दगी सिखाये जो सबक ,तजुर्बे सीखो उनको प्यार ,मोहब्बत से निसदिन
इम्तेहान भी लेती है बिन कहे जिन्दगी,काम आता है इसमें दैनिक जिन्दगी का ज्ञान
--रोशी
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