सावन की बदरी ने भी शुरू कर दिया है पक्षपात
जिधर नहीं है जरूरत बरस रही बेलगाम ,कर रही बेहाल
घनघोर गर्जन ,तड़कती बिजली कर रही अद्भुत प्रहार
जन -जीवन बेहाल ,बाड़ का प्रकोप सर्वत्र जीवन बदहाल
कंही है भयंकर सूखा ,ना है कहीं बारिश की बूंद का भी हाल
त्राहि -त्राहि छाई सर्वत्र पशु -पक्षी भी व्याकुल सभी हुए बदहाल
हे इन्द्र देव कर दो हम पर भी कृपा -दृष्टि ,सब हैं बेहाल
कुछ जल बरसा कर ,ताप से मुक्ति दो ,सबका जीवन हुआ बदहाल
रोशी --