राखी का पावन त्यौहार ,लाता है भाई -बहनों के अद्भुत नेह की सौगात
स्नेह्सुत्र को थामे करती है बहना ,ड्योडी पर भाई का इंतजार
भाई भी सूनी हथेली थामे ,मन है उसका भी हुलसता पाने को बहना का प्यार
दोनों का दिल पाखी सम मिलने ,को उड़ -उड़ जा पहुंचे एक दूजे के पास दूरी ने ,मजबूरी ने डालीं है पाँव में बेड़ियाँ ,आज तो हैं ही दोनों उदास
चलेगा जीवन कल अपनी गति से ,कल शायद ना रहेगा इस दुःख का एहसास
यह पर्व है अपने में समेटे ढेरों प्यार के रिश्तों का अतुल्य एहसास