बुधवार, 17 मई 2023

 ख़ुशी कुछ देर और तकलीफें क्यूँ ज्यादा टिकती हैं

हम स्वयं इसके जिम्मेदार खुद -बा खुद होते हैं
ख़ुशी के पल संजोने में कोताही करते हैं
ग़मों को सीने के अंदर दफ़न कर लेते हैं
गर झटक दें दिल दिमाग से कुछ पल में
जो चैन से तनिक हमको जीने ना देते हैं
रोम रोम से ख़ुशी का इज़हार करते हैं
परेशानियों का दिमाग में बसेरा कर बैठते हैं
अनिद्रा ,तनाव के शिकार हो मरीज़ बन जाते हैं
ख़ुशी में निरोग ,मस्त काया हम सब पाते हैं
जीवन में क्या बेहतर है चुनना हमको है
जिसने समझ लिया वो ही निरोगी काया पाते हैं
रोशी
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गुरुवार, 11 मई 2023

 जितनी नफासतऔर मोहब्बत चुनाव के दौरान होती है काश सदेव होती

जितनी खामियां प्रत्याशी कोचुनाव के दौरान हैं दिखती काश सदेव दिखतीं
बस्ती ,गली ,मोहल्ला है बेजार रहता पूरे साल ,सब पर उनकी नज़र है जाती
अव्यवस्था ,तकलीफें आम आदमी की दिमाग में कभी ना प्रत्याशी के आतीं
चुनाव आते ही हर तरफ नज़र जाती है सबकी और करते हैं सुधारने का वादा
सट्टा के मद में सब भूल बैठतें हैं की क्या किया था उन्होंने जनता से वायदा
हम देख समझ कर चुनते हैं अपना प्रतिनिधि पूरी उम्मीदों ,आशाओं के साथ
गर समझ लें सब अपनी जिम्मेदारी समाज के प्रति तो मिलेगा हमको पूरा इंसाफ
रोशी

मंगलवार, 9 मई 2023

 सूर्य का ताप जला रहा है हर इंसान को

एक तो स्वतः ही विश्व जल रहा है विध्वंस से
युद्ध की विभीषिका कई देशों को जला रही है
उधर आसमां से बरसते आग के शोले तडपा रहे हैं
पडोसी देशों में अराजकता विश्व को दहला रही है
बम,रासायनिक हथियार रही सही कसर पूरी कर रहे हैं
जिन्दगी इतनी तकलीफदेह हो गई है ,हर कोई है लाचार
कोरोना और बीमारियों ने कर दिया है जीवन बेज़ार
क्योँ इतना पारा मौसम ,विश्व के अनेकों देशों का बड़ा हुआ है
खुदा करे रहम आसमां ,दिल ,दिमाग सर्वत्र ताप घटा दे
रोशी

शनिवार, 6 मई 2023

 कल क्या होगा कुदरत के गर्भ में है सिमटा

बेहतर है भविष्य या होना है कुछ उल्टा पुल्टा
यकायक लेती है जिन्दगी मोड़ ,बदल जाता है सब कुछ
बेशक अच्छा हो या बुरा तजुर्बे सिखा जाता है सब कुछ
हमारे कर्म ,नियति तय करती है शायद हमारा कल
हमारी योजनायें ,हमारी सोच सब रह जाती धरी की धरी अगले पल
प्रसन्न मन से वर्तमान में जियो ,कल अनिश्चित है उसकी चिंता में मत घुलो
जिन्दगी की जितनी सांसे नवाज़ीं हैं खुदा ने उसकी नेमत का पूरा लुफ्त उठा लो
रोशी

गुरुवार, 4 मई 2023

 जूनून की इन्तेहाँ जरूरी है मकसद की कामयाबी के लिए

इश्क का जूनून हो या कामयाबी का शिक्षा को हो या व्यापार के लिए
वक़्त ,मेहनत दोनों होते हैं बहुत जरूरी मंजिल को छुने के लिए
सूझ -बूझ ,सही दिशा का चयन भी होता है अत्यंत जरूरी कामयाबी के लिए
खुद की जिन्दगी ,उर्जा का बेमकसद इस्तेमाल धकेल देता है गर्त में सदा के लिए
इतिहास गवाह है मिली कामयाबी सदेव उनको समझ ली खेल की बिसात जिन्होंने दिल से
रोशी

बुधवार, 3 मई 2023

 भारतीय गृहणी की रोज़ नींद खुलती है सुबह दरवाज़े की या बाई की घंटी से

तत्काल उड़ जाती है नींद सपनों से बाहर आकर वो रसोई में ही रूकती है
ख्वाब उड़ जाते हैं भाप की तरह चाय का पतीला,और गैस के पास नींद खुलती है
गैस का लाईटर पति का टिफिन अधखुली आँखों से ही भारतीय नारी दूंढ लेती है
कुकर की तेज सीटी दिमाग की सभी नसों को तत्काल मिनटों में खोल देती है
बच्चों की पसंद, पति ,परिवार के वास्ते स्वादिष्ट रसोई मिनटों में सोच लेती है
आने वाले अतिथि के स्वागत का सारा मेनू होता है उसके बाएं हाथ का खेल
सीमित बजट में सबको खुश रखना जानती है गृहणी अहम् होता परिवार में रोल
परिवार का पंचिंग बैग होती है फिर भी मुस्कराहट से अपना किरदार निभाती है
रोबोट से तेज करती काम,मशीन ना कोई उसकी बराबरी कर सकती है
रोशी

सोमवार, 1 मई 2023

 बेमौसमी बरसात ने हैं धो दिए सारे गरीब किसान के सपने

गेंहू जो पड़ा था अधकटा खेतों में ,बारिश ने ख़त्म कर दिए मिनटों में
अधपके खरबूजे,तरबूज सड गए,सब्जी ,फल सब बर्बाद हो गई पानी में
जिस फसल को देख जीता है हमारा किसान बर्बाद हो गया इस पानी में
पल भर में सारे ख्वाब ,मनसूबे बेटी का व्याह ,घर ,परिवार सब बह गया पानी में
बेहद मुश्किल हालात ,तनाव में जीता है,अन्नदाता ना जाने कब बरस जाए पानी
मेघ ना बरसे तो मुश्किल में है जीता किसान ,रोता है जब ज्यादा बरसता है पानी
पूरे बरस का हिसाब किसान का टिका होता फसल पर ,जो बहा ले गया पानी
सोच ना सके कोई की कितना निभाता अहम् रोल किसान की जिन्दगी में है पानी
रोशी
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