लड़का हो या लड़की पर हमारा मन तो
खबर सुनते ही उस विधाता पर
दोषारोपण करने लग जाता है
खबर सुनते ही उस विधाता पर
दोषारोपण करने लग जाता है
ऐसा क्यो होता है ?
बालक बैठने लगा ,चलने लगा
बुद बुदाने लगा ,बोलने लगा
मन दूसरे बालकों कि चाल-ढाल से
तुलना करने लगता है
ऐसा क्यो होता है ?
ऐसा क्यो होता है ?
बालक पाठशाला जाने लगता है
मन लगातार शाला में ,टीचरों में
उलझा रहता है दूसरी शाला ,अध्यापक बेहतर
ऐसा क्यों होता है ?
बालक बोर्ड परीक्षा देता है
मन लगातार दूसरे बालकों कि तैयारी और पढ़ाई
हमारे बालक से बेहतर में , उलझा रहता है,
हमारे बालक से बेहतर में , उलझा रहता है,
ऐसा क्योँ होता है?
बालक कॉलेज जाता है
मन दूसरे बालकों के करियर सर्विस में उलझा रहता है
ऐसा क्यों होता है ?
बालक के पारिग्रहण का समय आया है
मन दूसरे वर- बधुओ की तुलना में ही उलझा रहता है
ऐसा क्योँ होता है ?
नाती- नातिन, पोता- पोती का होता है आगमन
मन फिर वापिस उसी विधाता पर
दोषारोपण करने लग जाता है
ऐसा क्यों होता है ?