आज़ादी के पचतर सालों का लंबा सफर असां ना था हमारे लिए
बहुत सी कुर्बानियाँ दीं ,गहरे ज़ख़म खाए शहीदों ने हमारे लिए
देश बिभाजन का विषद दंश झेला ,घर ,बच्चे ,परिवार सब कुछ खोया
विस्थापन का दर्द झेला, पुनः ज़िंदगी को पटरी पर चलाया ,अपना दर्द भुलाया
आज उन्नतशील देशों की कतार में विश्वपटल पर भारत का नाम लिखवाया
हिंदुस्तानी दिमाग ,खूबसूरती ,कला का माना है आज संसार में सबने लोहा
न टिका है कोई इनके सन्मुख ,ना आज तक कोई मुक़ाबला कर पाया है
हमारे जवान जब पहन बरदी जाते है सरहद पर ,भूल जाते हैं अपना घर- संसार
देश की रक्षा का होता उनको जुनून गोली सीने पर खाई बस बचाने को हमारा परिवार
हमारा धर्म ,संस्कार ,आचार -व्यवहार और संस्कृति को अपना रहे और देश हैं
प्रत्यक्ष में तो कुछ नहीं बोल पा रहे पर दिल से करते हमारे देश को सलाम हैं
सफर पिछत्तर साल का यों आसा ना था ,बहुत चोट खाकर ,देश भट्टी में तपा था
पर आज हम विकसित देशों की कतार में आ पहुंचे ,इसके पीछे भी बहुत दर्द छुपा था
रोशी --
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