मंगलवार, 3 अप्रैल 2012
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हिंदी दिवस के अवसर पर ...हिंदी भाषा की व्यथI ----------------------------------------- सुनिए गौर से सब मेरी कहानी ,मेरी बदकिस्मती खुद मेरी...
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रात का सन्नाटा था पसरा हुआ चाँद भी था अपने पुरे शबाब पर समुद्र की लहरें करती थी अठखेलियाँ पर मन पर न था उसका कुछ बस यादें अच्छी बुरी न ल...
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हम स्वतंत्रता दिवस पूरे जोशो खरोश से मना रहे हैं बेशक हम अंग्रेजों की गुलामी से तो आजाद हो गए हैं धर्म ,जाति की जंजीरों में हम बुरी तरह जक...
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आया था करवा चौथ का त्यौहार काम बाली-बाई देख चौक गए थे उसका श्रंगार पिछले कई महीनो से मारपीट, चल रही थी उसके पति से लगातार चार दिन पहले ही...
1 टिप्पणी:
सुन्दर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
http://vangaydinesh.blogspot.in/2012/02/blog-post_25.html
http://dineshpareek19.blogspot.in/2012/03/blog-post_12.html
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