सोमवार, 20 दिसंबर 2010

Roshi: नारी की व्यथा ?

Roshi: नारी की व्यथा ?: "जीवन के अतीत में झांकने बैठी मै पायी वहां दर्दनाक यादें और रह गयी स्तब्ध मै समूचा अतीत था घोर निराशा और अवसाद में ..."

3 टिप्‍पणियां:

#vpsinghrajput ने कहा…

बेहतरीन प्रस्तुति ।

Roshi ने कहा…

thanks a lot for reading and sending comments

सहज समाधि आश्रम ने कहा…

जबाब नहीं निसंदेह ।
यह एक प्रसंशनीय प्रस्तुति है ।
धन्यवाद । साधुवाद । साधुवाद ।

  जिन्दगी बहुत बेशकीमती है ,उसका भरपूर लुफ्त उठाओ कल का पता नहीं तो आज ही क्योँ ना भरपूर दिल से जी लो जिन्दगी एक जुआ बन कर रह गयी है हर दिन ...