गुरुवार, 3 नवंबर 2011

करवा चौथ

आया था करवा चौथ का त्यौहार 
काम बाली-बाई देख चौक गए थे उसका श्रंगार 
पिछले कई महीनो से मारपीट, चल रही थी उसके पति से लगातार 
चार दिन पहले ही थाना-कचहरी की हुई थी दरकार 
न आने का कारन पूछा तो बोली, जाना था कोतवाली रोज लगातार 
जुल्मी, शराबी को मैंने करवा दिया है बंद अब न आयेगा वो बाहर 
पर उस रोज सब भूल गई उसके जुल्म, सितम और अत्याचार 
पूरा स्साज श्रंगार, पीछे तक भरी मांग भरा पूरा था श्रंगार 
कितना मासूम और कोमल बनाया है विधाता ने नारी का दिल और दिमाग 
झट से भूल जाती हैं सभी अत्याचार और पति का हिंसक व्यव्हार 
यही तो है हमारी भारतीय परंपरा, मान्यता और हमारे अदभुत संस्कार... 
   

20 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

रोज़ की कहानी भूल कर पुनः प्यार ढूढ़ने का प्रयास होने लगता है।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत बढ़िया पोस्ट!

संगीता पुरी ने कहा…

यही तो है हमारी भारतीय परंपरा, मान्यता और हमारे अदभुत संस्कार...

DUSK-DRIZZLE ने कहा…

kARVA CHOTH KA YAH KALA SACH HAI.... kYA KABHI PATIYO KE LIYE KOYI UPVAS HOGA JO APANI SAHCHARI KE PRATI NISTHA -SAMARPAN DIKHA SAKE

Sadhana Vaid ने कहा…

यथार्थ का बिलकुल सही चित्रण किया है आपने अपनी रचना में ! भारतीय नारी पूरे साल जिस पति का अत्याचार सहती है, उस पर क्रोधित भी होती है, कभी-कभी तो उससे नफ़रत भी करती है करवा चौथ के दिन उसी पति की दीर्घायु और खुशियों के लिये मंगलकामना भी करती है और साथ ही यह भी प्रार्थना करती है कि यही पति उसे अगले सात जन्मों तक मिले ! वाकई यही भारतीय संस्कार हैं ! सुन्दर रचना !

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

पुनः प्यार ढूढ़ने का प्रयास ...:)

Sunita Sharma Khatri ने कहा…

अच्छा लिखा है।

SANDEEP PANWAR ने कहा…

आपको शक्रिया बताने ले लिये ऐसी दमदार बाते लिखने के लिये,

SANDEEP PANWAR ने कहा…

आपको शक्रिया बताने ले लिये ऐसी दमदार बाते लिखने के लिये,

Human ने कहा…

अच्छी प्रस्तुति !

मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है,कृपया अपने महत्त्वपूर्ण विचारों से अवगत कराएँ ।
http://poetry-kavita.blogspot.com/2011/11/blog-post_06.html

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

यही तो है हमारी भारतीय परंपरा, मान्यता और हमारे अदभुत संस्कार... सुन्दर प्रस्तुति...

कविता रावत ने कहा…

झट से भूल जाती हैं सभी अत्याचार और पति का हिंसक व्यवहार .....
और जब इस कोमल मन को पति उसकी कमजोरी समझ फिर अत्याचार करने से पीछे नहीं हटता तो बार बार मन में एक प्रश्न उपस्थित होता है ....



.... यथार्थ के सुन्दर चित्रण ...

Pallavi saxena ने कहा…

sase pahle aapka bahut-bahut shukriya ki aapn mere blog par aayin thanks:-)
duara aurt ke svabhav ko ubhaarti bahut hee sundar abhivyakti shubhkaamanyen kripyaa yun hee samaprk bannaye rakhen ....

Unknown ने कहा…

बहुत बढ़िया लिखा है.

रचना दीक्षित ने कहा…

प्यार तो जरूरी है और प्यार का अहसास कराना भी उतना जरूरी है सुंदर प्रस्तुति.

रजनीश तिवारी ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति ...

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत खूबसूरत प्रस्तुति...भारतीय नारी की यही तो अलग पहचान है...

प्रेम सरोवर ने कहा…

बहुत रोचक और सुंदर प्रस्तुति.। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

***Punam*** ने कहा…

अच्छी प्रस्तुति ...!!

aditi ने कहा…

mom u have written it in such a way that we could imagine n relate to it

                                  दिनचर्या   सुबह उठकर ना जल्दी स्नान ना ही पूजा,व्यायाम और ना ही ध्यान   सुबह से मन है व्याकुल और परेशा...