गुरुवार, 30 जून 2022

 सावन की पहली फुहार कर जाती मन हर्षित हर बार

मिट्टी की सोंधी खुशबू बिखर जाती फिज़ा में हर बार
अंगार सरीखी धरा पर जब पड़ती पहली बौछार एक बार
तप्त तवे को जैसे जल की बूंद करती शीतल हर बार
खेत -खलिहान हुलस पड़ते जब उन पर गिरती प्रथम बौछार
सम्पूर्ण धरा जो रही थी झुलस ,निखर उठती पाकर शीतल वयार
नर -नारी ,पशु -पक्षी सब थे व्याकुल बरसते अंगारों से
खिल उठे सबके चेहरे सावन के पहले -पहले छींटों से
रोशी--
May be an image of flower and nature
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