रविवार, 9 अक्तूबर 2022

 सुनो इन्द्र देवता अब आपातकाल स्थिति आन पड़ी है भारी

रोक लो अब मेघों का कहर ,बिपदा आन पड़ी है अत्यंत भारी
गाँव ,देहात में छाया विकट कहर ,खेत ,खलिहान सब जलमग्न
घर -छप्पर गिर रहे टूटकर ,मजबूर हुए सब गरीब इंसान
खाने के पड़ गए लाले ,बह गया गृहस्थी का सब सामान
बीमारियो ने है पाँव पसारे ,हर जन है हैरान -परेशान
तकलीफ में है हमारा अन्नदाता ,जीवन उसका हुआ गमगीन
गुजर जाएगा है तकलीफ देह वक़्त पर छोड़ जाएगा गहरे जख्म
जीवन में जब आ जाती है अचानक आपदा ,समझा जाती जीने का मर्म
--रोशी

2 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

इंद्र ने शायद पुकार सुन ली है ।

Sudha Devrani ने कहा…

सही कहा ..
बहुत सुंदर सामयिक सृजन

  श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...