सोमवार, 31 जनवरी 2022

 जगविदित है की गम हो तो बाँट लो ,कम हो जाता है

हम मानते हैं खुशी भी बाँट लो दुगनी हो जाती है
फर्क सिर्फ इतना है कि अपना दिल किधर खोलते हैं
हमारे जज़्बात किसके दिल को छूते हैं ,तड़पाते हैं
वक़्त , मौका दोनों का सही होना भी बहुत जरूरी है
पर -पीड़ा ,दूजे का सुख दोनों को जज़्ब करना मुश्किल होता है
सही फैसला करना ,अक्सर दोस्तों बड़ा ही टेड़ी खीर होता है
तो दोस्तों सुख -दुख का पिटारा सदेव देख कर ही खोलो
वरना हो जाओ तैयार और उसका दंश ज़िंदगी भर झेलो
रोशी --
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Aditi Goel, Manju Maninder Bakshi and 7 others
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