सोमवार, 31 जनवरी 2022

 चंद्र ,सूर्य सम गृह चाहे कोशिश कर लें जितना

राहू ,केतू भी अपना स्थान परिवर्तन कर लें कितना
पर दीन -हीन की दशा ना बदल सकाहै कभी भी विधना
शायद ये गृह दशा ,सितारे भी अपना प्रभाव दिखाते हैं उतना
जब ईश्वर की मार से लाचार मानुष भी भूल बैठता है जीने का सपना
दारिद्र्य ,रोग ,विपन्नता जैसे गृह आ बैठते हैं कुंडली में समझ कर उसकी घर अपना
पीढ़ी -दर पीढ़ी चलती रह जाती ज़िंदगी बिना बदले निज स्वरूप अपना
वेद ,पुराण क्या उनकी कुंडली का कोई उपाए ना बूझ सके अंगुल जितना
कोई टोटका ,कर्म -कांड ,कभी ना फल दे सका बदल ना सका दुर्बल का जीने का सपना
समस्त राशि- फल उपाए ,,सदियो से बस बदलते रहे हैं सबल के संग स्वरूप अपना
रोशी --
May be an image of text
Manju Maninder Bakshi, Neelu Singh and 1 other
1 Comment
Like
Comment
Share

1

कोई टिप्पणी नहीं:

  श्वर प्रदत्त नेमतों की खुशियों के अहसास से महरूम क्यूँ रहते हम स्वस्थ काया सबसे कीमती तोहफा है ईश्वर का जिसमें जीते हैं हम दुनिया में बेशु...