गुरुवार, 28 जुलाई 2022

 हरियाला सावन आया ,फिज़ा में हरितमा साथ लाया

बाग -बगीचे हरे हुए ,चहुं ओर हरा रंग बिखरा पाया
काले घने मेघ छाए ,धरती ने शीतल जल है पाया
पीपल की डार पर पड़े झूले ,सावन के गीतों ने माहौल सजाया
कंही सजते तीज के सिंधारे पिया मिलन ने सजनी को तड़पाया
चूड़ी -मेहंदी के रंगो ने है सखियों की नींद है को खूब उड़ाया
जिनके प्रियतम बसे परदेस उनकी दशा को कवि भी ना बखान पाया
भोले बाबा की जय -जयकार से हर शिवालय गुंजारित ,बम -बम भोले लहराया
हर जगह दिखते कांवरथी ,अद्भुत जोश ,भोले का उद्घोष फिजाँ में है समाया
तप्त काया पर जब पड़ती शीतल बूंद उस एहसास को ना कोई बखान पाया
प्यासे पपीहे की आकुलता जब सावन की बदरी करती तृप्त कोई जान ना पाया
इस अनोखे सावन का मज़ा जिसने चखा ,वो ही इसका बखान दिल से कर पाया
रोशी -
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Neelu Singh, Sweaty Agarwal and 2 others

10 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (30-07-2022) को   "काव्य का आधारभूत नियम छन्द"    (चर्चा अंक--4506)  पर भी होगी।
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कृपया अपनी पोस्ट का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

SANDEEP KUMAR SHARMA ने कहा…

अच्छी रचना है...

Onkar Singh 'Vivek' ने कहा…

वाह!

Vocal Baba ने कहा…

बहुत सुंदर सावन गीत पढ़ने को मिला। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत सुंदर सावन की रचना

Marmagya - know the inner self ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Marmagya - know the inner self ने कहा…

जिनके प्रियतम बसे परदेस
उनकी दशा कवि ना लिख पाया
बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना. लयात्मकता के लिए शब्दों का समायोजन अपेक्षित है. सादर!--ब्रजेन्द्र नाथ

Shalini kaushik ने कहा…

सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति

मन की वीणा ने कहा…

सावन पर मनभावन सृजन।

अनीता सैनी ने कहा…

बहुत सुंदर सृजन।
सादर

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