सिर्फ चेहरे की मुस्कुराहट ,पर ना जाओ ,साथ में आँखों को भी देखो
उसके पीछे छुपे दूजे चेहरे को पड़ने का हुनर रखो ,आँखों की भाषा सीखो
दर्द के सिवा और भी बहुत कुछ सिमटा होता है उसको ,देखते जाओ
आँखों को पड़ने का भी हुनर रखो ,उनकी अबूझ भाषा समझते जाओ
दिमाग के सारे द्वंद छुपे होते हैं चेहरे में ,जो आँखों से भी आते हैं नज़र
कामयाबी के पीछे यह हुनर छिपा होता जो हर किसी को ना आता नज़र
दिल से मिलना ,स्वार्थवश मिलना दोनों होते हैं अलग स्वयं जो आते नज़र
बशर्ते हम समझ सकें दोनों का फर्क ,ज़िंदगी हो जाएगी बहुत ही सुखद और सुंदर
रोशी --
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