सोमवार, 8 अगस्त 2022

 हर बदलता दिवस सीखा जाता है जीवन में बहुत कुछ

कभी सीखते हैं हम स्वयं से,कभी समाज से ,परिवार से बहुत कुछ

शुरुआत होती है खुशनुमा सुबह से ,पक्षियों के कलरव से सीखते बहुत कुछ
तिनका -तिनका जोड़ बनाते आशियाना ,जन्मते उसमे बच्चे,जो ना रहते साथ कभी
पंख निकलते ही हो जाते फुर्र ,खुले आसमां में नव नीड़ बनाने जो ना घोंसले में लौटते कभी
बड्ते सूरज के साथ ज़िंदगी रोज़ परिचय कराती है ,उसके घटते ताप ,और चंद्र के उदय का भी
घर -गृहस्थी के नित-प्रतिदिन के कटु अनुभव भी कराते हैं परिचय जीवन की सच्चाई का
जीवन की डगर ना है इतनी सीधी,जो आती है नज़र ,उलट -फेर है इसके हर पहलू का
घर ,परिवार हाट-,बाज़ार दोस्त -दुश्मन हर जगह से मिलते हमको नित कटु -सुखद अनुभव
बिखरे पड़े हैं ढेरों जीवन के यथार्थ सत्य ,मथने ,परखने को चहुं ओर हमारे
क्या सीख पाये जाते दिन से सिर्फ होता हम ही पर निर्भर और जीने के नज़रिये पर हमारे रोशी
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