घर नज़र आता है घर जब तक रहती है उसमें औरत
रसोई महकती है,बर्तन खटकते हैं जब होती है घर में औरत
रस्सी पर दिखती है लाल,हरी चूनर,साड़ी जब होती है घर में औरत
कुछ ना कुछ आवाजें ,खटपट होती ही है जब होती है घर में औरत
बच्चे ,बुडे सब सम्हाल लेती है बाखूबी जब होती है घर में औरत
घर में जाला,कूड़े के ढेर नज़र ना आते जब घर में होती है औरत
आईने की माफिक चमकता है घर -आँगन जब घर में होती है औरत
साफ़ कपडे ,कलफ प्रेस के दिखते परिवार के जब घर में होती है औरत
घर भूतों के डेरे माफिक लगने लगता है जब उसमें ना रहती है कोई भी औरत
--रोशी
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