देख -सुनकर आजकल की जिन्दगी दहशत हो जाती है अक्सर
बज जाया करती हैं घंटियाँ यकायक आजकल दुनिया में रोज़
अजीबोगरीब बीमारियाँ ,तकलीफें आजकल फ़ैल गई हैं हर ओर
लाइलाज रोग बड़ते जा रहे हैं रोज़ खोज ना पाए बैज्ञानिक जिनका कोई तोड़
नई सहूलियतों के साथ रब देता है नई तकलीफें ,मुश्किलें इंसान को एक साथ
अपनी ख़ुशी ,शौक ,इच्छाओं को दफ़न ना करो ,आने वाले कल का पता नहीं
--रोशी
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