रविवार, 25 मई 2025

 

देख -सुनकर आजकल की जिन्दगी दहशत हो जाती है अक्सर
बज जाया करती हैं घंटियाँ यकायक आजकल दुनिया में रोज़
अजीबोगरीब बीमारियाँ ,तकलीफें आजकल फ़ैल गई हैं हर ओर
लाइलाज रोग बड़ते जा रहे हैं रोज़ खोज ना पाए बैज्ञानिक जिनका कोई तोड़
नई सहूलियतों के साथ रब देता है नई तकलीफें ,मुश्किलें इंसान को एक साथ
अपनी ख़ुशी ,शौक ,इच्छाओं को दफ़न ना करो ,आने वाले कल का पता नहीं
--रोशी

कोई टिप्पणी नहीं:

  कुम्भ है देश विदेश सम्पूर्ण दुनिया में छाया असंख्य विदेशियों ने भी आकार अपना सिर है नवाया सनातन में अपना रुझान दिखाया ,श्रधा में अपना सिर ...