शनिवार, 3 अगस्त 2024

                                  दिनचर्या 
सुबह उठकर ना जल्दी स्नान
ना ही पूजा,व्यायाम और ना ही ध्यान 
सुबह से मन है व्याकुल और परेशान 
ना थी कोई परेशानी,ना था कोई व्यव्धान 
मन था निरंतर ,विचलित तीव्र गतिमान 
सुबह से था कौन किधर ,क्या कर रहा ,ना था ध्यान ...........
शायद यह था मौसम और प्रक्रति का तापमान 
किया था जिसने हमको निरंतर परेशान
घर ,भीतर ,बाहर ,अंदर था मन चलायमान 
बढ़ती गर्मी ,उमस वातावरण का था शायद व्यव्धान .........................
निरंतर आग उगलते शोले था ना कोई नहीं समाधान 
ईश्वर ही दे सकता है अब शीतलता का तापमान 
पशु-पक्षी ,नर-नारी सभी व्याकुल चलायमान 
हे!प्रभु कर दो दया भर दो सागर नदी और आसमान 
बरसा दो नेह ,अमृत ,धरा पर घम घमासान |       

सप्तरंग

 होली लाई फिजाओ में सप्तरंग है और बागो में भी कोयल है चहकाई ,कही बालको की टोली मारती है पिचकारी और कही भांग है घुत्वाई
रंग ,गुलाल इन की खुशबु ने की है अद्भुत छटा बिखराई 
सभी सखियों गयी राधा और सखाऔ ने जैसे कान्हा रूप है आज पाई
जीजा साली देवर भाभी सभी रिश्तो ने दी है होली की दुहाई 
लाल पीले हरे नीले जैसे ढेरो रंगों में रंगकर हमने सबने खूब है होली मनाई 
खूब है होली मनाई ......

सोमवार, 15 जुलाई 2024

 नारी शक्ति

ईश्वर ने जब की संरचना नारी की उसमें अद्भुत गुणों का समावेश कर था उसको बनाया
ममता,वात्सलय,और सहनशीलता जैसे अनेकाएक गुणों का था उसमें मिश्रण बाखूबी समाया
आदिकाल से ही नारी के अद्भुत,अकल्पनीय गुणों से जगत का कोई क्षेत्र ना है बच पाया
नभ,जल,थल,शिक्षा,सौन्दर्य हर परिवेश में ही युगों से नारी का है सर्वत्र परचम लहराया।
आसमां की ऊँचाई, समंदर की गहराई और पर्वतों को चूम नारी ने सर्वदा अपना झण्डा फहराया।
विश्व पटल पर अपने सौन्दर्य,हुनर विवेक को प्रदर्शित कर स्वर्णाक्षरों में है अपना नाम लिखवाया
अंतरिक्ष की धरती पर कदम रख अब नारी ने असंभव को भी संभव बनाकर दुनिया को दिखाया।
युद्ध का मैदान, देश की सीमा पर दुश्मनों का सफाया कर निज जीवन को न्यौछावर कर दिखाया
राकेट, लांचर, जेट चलाकर भी अपनी काबलियत से है विश्व में नारी ने सर्वदा लोहा मनवाया
नारी शक्ति का ना कोई सानी, अपनी अद्भुत कृति को बनाकर खुदा भी खुद पर था इतराया।
- रोशी

 

 एक लम्हा भी गर गुजारा दिन भर में नेकनीयती से                                                                                                  पूरा दिन खुशगवार गुजरता हैअंदरूनी ख़ुशी से
कोई दी हो गर नेक सलाह किसी व्यथित ,परेशान इंसा को
उसकी दुआएं काफी हैं जिन्दगी आपकी खुशहाल बनाने को
भूखे को दो निवाले ,प्यासे को दो बूँद पानी गर दिया हंसकर
रूह से निकली दुआ उसकी कर देगी जिन्दगी आपकी बेहतरीन डटकर
पूस की सर्द रात में दिया कभी गर्म बिछौना ,रहमते बरसेंगी खुदा की आप पर
नीयत रखोगे गर नेक तो मंजिलें खुद मिल जाएँगी ,सुकून भी मिलेगा आत्मा को
तिनके जितना जर्फ़ रखो खुद कुछ करने का ,रब खुद आ जाएगा हाथ बटाने को
--रोशी


शिक्षा विद्यालय में ,संस्कार घर पर गर मिले भरपूर                                                                                               पैसा मिले ना मिले जिन्दगी में कामयाबी मिलेगी भरपूर
अनुशासन गर सीखा बाल्यावस्था में दिलो दिमाग से
कच्ची उम्र में ढल गए सांचे में ,ले लिया सही आकार बचपन से
ना खानी पड़ेंगी लानतें ज़माने की जिन्दगी में गर बचपन गुजार लिया अनुशासन में
स्वर्ण आग में ,मिटटी सांचे में लोहा घन की चोट से पाते समुचित आकार जीवन में
जिसने सीखा यह बेमिसाल सबक जिन्दगी का बचपन से जितनी शिद्दत से
सुनहरा होगा जिन्दगी का आगाज़,राह ना रोक सकेंगी अडचने कंही से
रोशी 

 शरद नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं

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शरद ऋतू का आगमन अपने साथ त्योहारों की बयार लेकर आया
घर घर में आज देवी की स्थापना ,हवन की खुशबू ने वातावरण सुगन्धित बनाया
धूप कपूर से महके मंदिर ,घर चौबारे ,देवी के भजनों से गूंजे हैं मंदिर के गलियारे
प्रसाद की खुशबू से सुवासित हुई रसोई ,घंटे,शंख की ध्वनि से गूंजे आंगन चौबारे
एक माह तक सर्वत्र रौनक ,रौशनी ,आनंद और प्रेम का रहेगा चहुँ ओर वास
भक्ति रस दीखेगा सर्वत्र कुछ दिवस ,छाएगा तत्पश्चात दिवाली का उल्लास
नवरात्रि का आगमन कर देता मन को प्रफ्फुलित ,शीतल वयार का होता अहसास
लहंगे ,चुनर में सजी नारियां ,गरबे की थाप कर देती अद्भुत उमंग का अहसास
कंही भंडारा ,कंही जगराता ,युवा करते डांडिया ,छाया सर्वत्र उल्लास
देवी का आगमन हमारे बीच लाता अपने साथ ढेरों खुशियों का एहसास
--रोशी 


 कुदरत ने ढाया कहर गरीब किसान पर ,उसके सपनों पर                                                                                           जो बीजे थे उसने धान के रूप में खेत पर
बच्चों की फुलझरी ,पटाखे ,मिठाई सब टिके थे उन उम्मीदों पर
बच्चों के नए वस्त्र अब ला सकेगा वो त्यौहार पर
बारिश और ओले के कहर ने सब ख्वाब ला गिराए धरती पर
मिनटों में उजड़ गई दुनिया ,आ गिरे सारे मंसूबे मिटटी पर
क्या सपने बुनता है इंसा जोर नहीं किसी का इस पर
पकी फसल की बर्बादी देख स्तब्ध है सारा परिवार
मनेगी कैसे दिवाली ?जब खाने को भी ना बचा घर पर
--रोशी

                                  दिनचर्या   सुबह उठकर ना जल्दी स्नान ना ही पूजा,व्यायाम और ना ही ध्यान   सुबह से मन है व्याकुल और परेशा...