दिनचर्या
सुबह उठकर ना जल्दी स्नान
ना ही पूजा,व्यायाम और ना ही ध्यान
सुबह से मन है व्याकुल और परेशान
ना थी कोई परेशानी,ना था कोई व्यव्धान
मन था निरंतर ,विचलित तीव्र गतिमान
सुबह से था कौन किधर ,क्या कर रहा ,ना था ध्यान ...........
शायद यह था मौसम और प्रक्रति का तापमान
किया था जिसने हमको निरंतर परेशान
घर ,भीतर ,बाहर ,अंदर था मन चलायमान
बढ़ती गर्मी ,उमस वातावरण का था शायद व्यव्धान .........................
निरंतर आग उगलते शोले था ना कोई नहीं समाधान
ईश्वर ही दे सकता है अब शीतलता का तापमान
पशु-पक्षी ,नर-नारी सभी व्याकुल चलायमान
हे!प्रभु कर दो दया भर दो सागर नदी और आसमान
बरसा दो नेह ,अमृत ,धरा पर घम घमासान |
सुबह उठकर ना जल्दी स्नान
ना ही पूजा,व्यायाम और ना ही ध्यान
सुबह से मन है व्याकुल और परेशान
ना थी कोई परेशानी,ना था कोई व्यव्धान
मन था निरंतर ,विचलित तीव्र गतिमान
सुबह से था कौन किधर ,क्या कर रहा ,ना था ध्यान ...........
शायद यह था मौसम और प्रक्रति का तापमान
किया था जिसने हमको निरंतर परेशान
घर ,भीतर ,बाहर ,अंदर था मन चलायमान
बढ़ती गर्मी ,उमस वातावरण का था शायद व्यव्धान .........................
निरंतर आग उगलते शोले था ना कोई नहीं समाधान
ईश्वर ही दे सकता है अब शीतलता का तापमान
पशु-पक्षी ,नर-नारी सभी व्याकुल चलायमान
हे!प्रभु कर दो दया भर दो सागर नदी और आसमान
बरसा दो नेह ,अमृत ,धरा पर घम घमासान |