सोमवार, 18 अगस्त 2025

 त्यौहार जिन्दगी में रंग बिखराते हैं ना कि तकलीफें

हम क्योँ अपनी खुशिओं में गैरों को देते हैं तकलीफें
त्यौहार कुछ इस तरह मनाते हैं कि गैर धर्मों का उड़ाते हैं मजाक
अपनी मर्यादा बिसरा कर गैरों का करते हैं भरपूर अपमानऔर तिरस्कार
हर धर्म सिखाता है अहिंसा ,प्रेम ,मोहब्बत और भाईचारा का पाठ
कत्लेआम ,तोड़फोड़ ,हिंसा,आगजनी कोई धर्म है नहीं सिखाता
गर समझ लिया धर्म को गहराई से तो जो है प्रेम का पाठ पढाता
--रोशी


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