किस दिशा की ओर जा रही है नारी जाति?बेटी ,पत्नी और बहिन
ममता ,प्रेम ,सहनशीलता जैसे गुणों का हो गया समूल उनमें पतनक्या विदेशी सभ्यता का प्रादुर्भाव है ?कमी रह गयी है हमारे संस्कारों की
मर्यादा की सीमाएं लाँघ बैठी है बेटियां,भूल बैठी हैं परवरिश मां -बाप की
परिवार,सात जन्मों का बंधन बिसराकर लक्ष्मण रेखा लाँघ रही हैं बेटियां
शिक्षा,आज़ादी का दुरुपयोग ,निज संस्कार ,विदेशी सभ्यता अपना रही हैं बेटियां
आसमां छुओ ,पंखों को फैलाओ, पर पाँव ज़मीन पर जरूर रखना सिखाना होगा
बेटियों को परिवार,विवाह,मातृत्सव सरीखी शिक्षा भीअब नियमित सिखाना होगा
--रोशी
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