गुरुवार, 18 दिसंबर 2025
रावन को दशहरा पर सब जलाते है परम्परानुसारभीतर का रावन कोई नहीं देखता जो है सबके भीतर
लालच ,दंभ ,कपट ,झूट सब कूट -कूट के भरें हैं सबके अन्दर
रावन के मुख तो दुनिया को दीखते थे दुनिया को भली प्रकार
रावन का कपट ,झूट ,अहंकार सब उसके चेहरे दर्शाते हैं बरसों से
इन्सान के मन का जहर सब उसके भीतर छुपा रहता है अच्छे से
हम इंसानों से अच्छा तो रावन था भीतर कुछ ना मन में रखता था
हमारे चेहरे पर कुछ ना दीखता है दिल में इन्सान विष का घड़ा रखता है
--रोशी
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