उम्र के साथ शरीर की ताक़त ,चुस्ती -फुर्ती सब ढलने लगती है
याददाश्त चींड होने लगती है ,हाथ- पाँव डगमगाने लगते हैं
सभी के साथ होता है ,यह प्रकृति का नियम है ,शरीर साथ छोड़ने लगता है
सारा जोश ,ज़ज्बा जवानी ढलते ही साथ छोड़ने लगता है ,यह ही सत्य है
जो इच्छाएं बची हों अधूरी शरीर के चुस्त रहते कर लो अवश्य पूरी
बुडापे में खुद का चलना -फिरना होता दूभर ,सभी समस्याओं से घिरे हैं पूरी
प्रदूषण,मानसिक तनाव ,बीमारियाँ चारों तरफ से घिरे हैं पहले ही हम सब
जीने का नजरिया बदलो ,खुद को स्वस्थ,खुश रखो तभी जी सकेंगें हम सब
--रोशी
गुरुवार, 18 दिसंबर 2025
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
जिन्दगी बहुत बेशकीमती है ,उसका भरपूर लुफ्त उठाओ कल का पता नहीं तो आज ही क्योँ ना भरपूर दिल से जी लो जिन्दगी एक जुआ बन कर रह गयी है हर दिन ...
-
रात का सन्नाटा था पसरा हुआ चाँद भी था अपने पुरे शबाब पर समुद्र की लहरें करती थी अठखेलियाँ पर मन पर न था उसका कुछ बस यादें अच्छी बुरी न ल...
-
हम स्वतंत्रता दिवस पूरे जोशो खरोश से मना रहे हैं बेशक हम अंग्रेजों की गुलामी से तो आजाद हो गए हैं धर्म ,जाति की जंजीरों में हम बुरी तरह जक...
-
आज हुई मुलाकात एक नवयुवती से जिसकी हुई थी अभी-अभी सगाई मुलाकात हुई उसकी काली-घनेरी फैली जुल्फों से ...

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें