गुरुवार, 18 दिसंबर 2025


 

उफ्फ,भयानक शीत लहर ,मानो समस्त हाड़ गला रही
बेघर गरीब कैसा काटता होगा पूस की रात कहर बरपा रही
बेजुबान पशु किस तकलीफ से गुजर रहे ईश्वर ही जाने उनका दुःख
टकटकी आसमां में लगाए बस सूरज की किरणों को ताक रहे भूल अपना दुःख
आसमां में छाई कोहरे की धुंध, आवागमन सिमट गया कोहरे के आगोश में
बेबजह एक्सीडेंट लील रहे कितने ही परिवारों को, कोहरे की फैली चादर में
--रोशी 

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