गुरुवार, 18 दिसंबर 2025


 

सजे हैं मां के भव्य दरबार ,गूँज रही ढोलक और मंजीरों का स्वर
मां के जयकारों-जगरातों की छाई धूम ,गरबा -डंडिया का छाया ज्वर
लहंगे और चुनरी में सजी हैं नारियां ,पुरुषों ने भी अद्भुत वेशभूषा है धारी
भक्ति ,स्तुति का छाया है रोमांच ,नवरात्रि में रामलीला का खुमार भी है भारी
नवरात्रि से हो जाता त्योहारों का आगाज़ ,सर्वत्र हर्ष ,उल्लास है व्याप्त
मन हो जाता हर्षित एक माह पूरे चलेंगे त्यौहार ,रौनक ना होगी समाप्त
--रोशी

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