सजे हैं मां के भव्य दरबार ,गूँज रही ढोलक और मंजीरों का स्वर
मां के जयकारों-जगरातों की छाई धूम ,गरबा -डंडिया का छाया ज्वर
लहंगे और चुनरी में सजी हैं नारियां ,पुरुषों ने भी अद्भुत वेशभूषा है धारी
भक्ति ,स्तुति का छाया है रोमांच ,नवरात्रि में रामलीला का खुमार भी है भारी
नवरात्रि से हो जाता त्योहारों का आगाज़ ,सर्वत्र हर्ष ,उल्लास है व्याप्त
मन हो जाता हर्षित एक माह पूरे चलेंगे त्यौहार ,रौनक ना होगी समाप्त
--रोशी
गुरुवार, 18 दिसंबर 2025
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
जिन्दगी बहुत बेशकीमती है ,उसका भरपूर लुफ्त उठाओ कल का पता नहीं तो आज ही क्योँ ना भरपूर दिल से जी लो जिन्दगी एक जुआ बन कर रह गयी है हर दिन ...
-
रात का सन्नाटा था पसरा हुआ चाँद भी था अपने पुरे शबाब पर समुद्र की लहरें करती थी अठखेलियाँ पर मन पर न था उसका कुछ बस यादें अच्छी बुरी न ल...
-
हम स्वतंत्रता दिवस पूरे जोशो खरोश से मना रहे हैं बेशक हम अंग्रेजों की गुलामी से तो आजाद हो गए हैं धर्म ,जाति की जंजीरों में हम बुरी तरह जक...
-
आज हुई मुलाकात एक नवयुवती से जिसकी हुई थी अभी-अभी सगाई मुलाकात हुई उसकी काली-घनेरी फैली जुल्फों से ...

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें