माँ घर में परवरिश करती है पर बाप अपनी पूरी जिन्दगी दांव पर लगा देता है
दो निवालों की खातिर ,खुद को रोज़ी रोटी के लिए काम में जुट जाता है
बच्चो के सुख की खातिर अपनी जिन्दगी को पूरी की पूरी दांव पर लगा देता है
खुद से बेहतर जिन्दगी अपने बच्चों की हो इसी सपने में जिन्दगी गुजार देता है
दुनिया से लड़ जाता है नौनिहालों की खातिर अपना वजूद तक मिटा देता है
माँ के त्याग ,तपस्या को दुनिया सलाम करती है ,पिता का किरदार भुला बैठते हैं
एक गाड़ी को सही चलाने के लिए सदेव दोनों पहियों की सख्त जरुरत होती है
--roshi

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