गुरुवार, 18 दिसंबर 2025


गैरों को शीशे में उतारने का हुनर जन्मजात होता है शायद
बातों को झट तोडना -मरोड़ना हुनर बेशकीमती होता है शायद
इतनी बेबाकी से झूट बोलने का सबब हक होता है उनका शायद
रंग बदलने में तो महारत हासिल होती है उनको बचपन से ही शायद
ऐसे प्राणी इस मजलूम दुनिया में चारों ओर बिखरे पड़े हैं बहुतायत में शायद
--रोशी

कोई टिप्पणी नहीं:

  जिन्दगी बहुत बेशकीमती है ,उसका भरपूर लुफ्त उठाओ कल का पता नहीं तो आज ही क्योँ ना भरपूर दिल से जी लो जिन्दगी एक जुआ बन कर रह गयी है हर दिन ...