गुरुवार, 18 दिसंबर 2025
माता -पिता बेशक वृद्ध, असहाय हो जाएँ पर दुआओं में ना आती कमी कोईआशीर्वादों ,दुआओं से घर फलता- फूलता,आबाद रहता कमी ना रहती कोई
धन-दौलत,प्रापर्टी बेशक ना बची हो पास अब पल्ले में कुछ भी उनके
प्रेम ,मोहब्बत के लफ्ज़ बरसते रहते हैं औलाद की खातिर मुख से उनके
शरीर कितना भी हो गया हो शिथिल ,कमजोर हमारे बुजुर्ग जन्मदाता का
आँखों में बिजली सी कौंध जाती उनके गर देखते सुख ,कामयाबी औलाद का
गुर की बातें ,तजुर्बों का भंडार है समाया बाखूबी भीतर हमारे मां -बाप के
उलझी गुत्थी को चुटकी में सुलझाने की क़ाबलियत बदस्तूर कायम है भीतर उनके
--रोशी
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