गुरुवार, 18 दिसंबर 2025


 मिटटी के दीयों की जगह ले ली चायनीस दीयों ने

पीली झालरों की जगह ले ली विदेशी झालर ने
महीनों पहले बनते स्वादिष्ट पकवानों की जगह ले ली चाकलेट ने
मठरी ,समोसे, गुझिया का स्वाद ना लिया आजकल के बच्चों ने
रंगोली ,माड़ना,अल्पना की जगह आ गए प्लास्टिक के स्टीकर
चाशनी की सुगंध ,देसी घी की खुशबू नदारद हो गयी घर से
मोमबत्ती की जगह चायनीज बत्तियां बाज़ार में बिखरा रही रोशनी हर कोने से
परिवार के कपडे,बच्चों के खिलोने बाज़ार की जगह मंगवाते अमाजान से
हलवाई ,दर्जी ,कुम्हार सरीखा तबका हो गया खाली ,गरीब और बेरोजगार
गर यूँ ही हम दूर हो गए अपनी जड़ों से ,भविष्य अंधकारमय है सबके
--रोशी 

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