पत्नी को हाउसवाइफ का संबोधन ना देकर हाउसलाइफ कहना उचित होगा
घर की जान और शान है वो कोई और ना उसके बराबर मानना सही होगा
रसोई की खुशबू ,मसालों की महक है पत्नी ,दो जून के निवाले हैं उसके दम पर
कपड़ो की चमक ,चूड़ियों की खनक है पत्नी से वरना घर तो भूतों का बसेरा होगा
बच्चों की किलकारी है,आंगन की फुलवारी है पत्नी से बरना सब बंजर होगा
बुजुर्ग माँ -बाप की लाठी है पत्नी, सूने घर की रोशनी है नहीं तो बल्ब भी ना जलेगा
अतिथियों का आवागमन होता तभी जब पत्नी होती घर नहीं तो सूनसान ही रहेगा
पड़ोसियों से मेलजोल रहेगा तभी जब पत्नी होगी घर में बरना घर में सन्नाटा रहेगा
बगैर तनख्वाह-,छुट्टी के रात-दिन खटती, उसके मुकाबले दुनिया में दूजा ना होगा
--रोशी

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