शनिवार, 4 जनवरी 2025

कभी कभी 
कभी कभी जीवन में आ जाते हैं 
अचानक ऐसे मोड़ 
जहाँ पर आप सिर्फ आप रह जाते हैं अकेले
घर,परिवार, पिता,बहन सब हैं आस पास 
पर मन है नि:शब्द, मौन और हैं मद्धिम सांस 
भी से दूर ,एकांत ,शांत ,अकेलापन है ....................
पत्तियों की सरसराहट झींगुरो की आहट मन को हैं 
सब यही कुछ लुभाते ,बहलाते और मैं इन सबको अपने बीच में पाकर 
हूँ अत्यंत खुश और यही हैं मन मन लगाते ...................
क्योंकि यह सब साथ ही हैं जख्मों को सहलाते 
फल ,पल्लव ,हरियाली यही है मेरा जीवन 
नित नव जीवन ,यही देता है 
                             साकेत घर आंगन 

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