शनिवार, 4 जनवरी 2025







बेटियों को वक़्त और हालात से जूझना सिखाएं
निजी तकलीफों पर सही फैसलों को अंजाम देना सिखाएं
बचपन में जरूरी है ऊँगली पकड़कर चलना सिखाना
खुद अपने पैरों पर बेटी को चलना जरुरी सिखाएं
बेहूदी फब्तियां और शोहदों से निपटना है कैसे सिखाएं
घुट कर जीने के बजाए खुली फिजां में हंस कर जीना सिखाएं
बराबरी का दर्ज़ा देना का जो ढोल पीटते हो उसको सच कर दिखाएं
बेटा और बेटी दोनों को बराबरी का दर्जा देकर बेटियों का भविष्य उज्जवल बनाएं
--रोशी

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