विवाह के लायक
जब तक हुए विवाह के लायक तो भी रीती रिवाज़ ना बदले
क्यूंकि तब सुना था माँ के मुहँ कि लड़की और हालात ना बदले
वही दान वही दहेज़ माँ बाप को चाहिए और लड़के को रंग गोरा
पहले ना था शिक्षा पर इतना शोर पर व्याह पर खर्च था पूरा जोर
लड़की को दिखाना,उसकी नमाइश सभी कुछ था जरा भी ना बदला
पसंद आ गयी तो रिश्ता पक्का वरना खाया पिया और चले
लड़की के दिल दिमाग में जरा भी झांक कर ना देखा की उसपर क्या गुजरी
बेचारी,कितनी तकलीफ,मानसिक यातना से वह है गुजरी पर लड़के,उसके संबंधी माता पिता उनका इससे क्या वास्ता लड़का तो ऊँचे दाम पर बिक ही जायेगा,आज नही तो कल
हालात आज भी वही है बिल्कुल भी ना बदले
बाप को चाहिए रूपया ,बेटे को रंग गोरा और पढ़ी लिखी लड़की
नुमाइश पहले भी होती थी आज भी होती है और होती ही रहेगी
बेचारी लड़की आज भी वही है उसी लीक पर चल रही है
उस मासूम के लिए क्यों नही दर्द उपजा?क्यों? क्या कभी उपजेगा ?
शायद नही कभी नही क्यूंकि वो तो यही यातना कवट झेलने के लिए जन्मी है इस संसार में
और यह समाज ना बदला ना ही कभी बदलेगा
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